राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस ::::::: कोरोना से बचाव में रामबाण साबित हुई आयुर्वेदिक दवाइयां
आयुर्वेद में दिनचर्या व ऋतुचर्या पर ध्यान देकर रोगों का उपचार किया
जागरण संवाददाता, सिरसा : आयुर्वेद में दिनचर्या व ऋतुचर्या पर ध्यान देकर रोगों का उपचार किया जा सकता है बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बरकरार रख कर रोगों के संभावित खतरे से भी बचा जा सकता है। कोरोना संक्रमण के दौरान भी आयुर्वेदिक दवाइयों ने रामबाण का काम किया। बेशक कोरोना की अभी तक कोई दवा नहीं बन पाई है परंतु शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और खांसी, जुकाम के संक्रमण को कम करने में आयुर्वेद ने कारगर भूमिका निभाई है।
यह जानकारी देते हुए आयुष विभाग से जुड़े चिकित्सक डा. उमेश सहगल ने बताया कि कोरोना से बचाव के लिए आंवला, गुडची अथवा गिलोय घनवटी, आयुष का काढ़ा दिया गया। बुखार की शिकायत होने पर आयुष 64 की गोलियां दी गई। रसायन के रूप में शश्वनी बटी दी गई। इसके अलावा संक्रमण कम करने के लिए च्यवनप्राश, ब्रह्म रसायन के प्रयोग की सलाह दी गई। खांसी जुकाम के लिए कंठमाही अवलेह, अगस्त हरीतकी इत्यादि दी गई। बुखार पीड़ितों को त्रिभुवन कीर्तिरस दिया गया। संक्रमितों को कान में डालने के लिए अणु तेल दिया गया। इसके अलावा रोगियों व आशंकितों को गर्म पानी पीने की सलाह दी गई। ------------- कोरोना को रोकने में आयुर्वेदिक दवाइयों ने अहम किरदार निभाया। जिले के कंटेनमेंट जोन क्षेत्रों के अलावा सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों को इम्यूनिटी बूस्टर दवाइयां दी गई। ऐलोपेथी ने भी आयुर्वेद दवाइयों के सेवन को सराहा और सीएमओ व डीएमओ ने भी इन्हें लेने की सलाह दी। आयुर्वेद में बताया जाता है कि निश्चित समय पर सोना व उठना चाहिए। सही समय पर खाना चाहिए, व्यायाम करना चाहिए ताकि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।