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स्नेह भरे हाथों ने भर दिए मां के घाव, दुनिया में आया नन्हा हिरण

आसाखेड़ा गांव के लोगों ने गर्भवती हिरण को बचाया। गांव की गोशाला में

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 05:35 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 05:35 AM (IST)
स्नेह भरे हाथों ने भर दिए मां के घाव, दुनिया में आया नन्हा हिरण
स्नेह भरे हाथों ने भर दिए मां के घाव, दुनिया में आया नन्हा हिरण

संवाद सहयोगी, डबवाली : आसाखेड़ा गांव के लोगों ने गर्भवती हिरण को बचाया। गांव की गोशाला में रखकर उसका उपचार किया। ग्रामीणों की देखभाल से स्वस्थ हुए हिरण ने नर हिरण को जन्म दिया। मंगलवार को दोनों को हिसार के डियर पार्क में ले जाया गया। वन्य प्राणी विभाग ने हिरण रक्षकों को रियल हीरो करार दिया है। विभाग के अनुसार ग्रामीणों ने एक साथ दो वन्य प्राणियों की जिदगियां बचाने का काम किया है।

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करीब 15 दिन पहले आसाखेड़ा-चौटाला गांव के मध्य काला हिरण के पीछे आवारा कुत्ते पड़े थे। कुत्तों ने कई जगह से उसे नोच खाया था। वह बचते-बचाते हुए आसाखेड़ा की एक ढाणी में प्रवेश कर गया। सूचना पाकर मौका पर पहुंचे आसाखेड़ा गांव निवासी साहब राम ज्याणी, मनीष शर्मा, मेघा राम, अंग्रेज, मदन लाल सहारण बुरी तरह से घायल हिरण को उठाकर गोशाला में ले आए। वहां बने ट्रीटमेंट रूम में उसका उपचार शुरू किया। घावों पर हर रोज मरहम लगाई गई। नतीजा यह रहा कि ग्रामीणों के स्नेह से गर्भवती काले हिरण के घाव भर गए। उसे भरपेट भोजन दिया, तो वह कुछ ही दिनों में हृष्ट-पुष्ट हो गया। उसने स्वस्थ नर हिरण को जन्म दिया। मंगलवार को सूचना पाकर वन्य प्राणी विभाग सिरसा की टीम आसाखेड़ा गोशाला पहुंची। हिरण तथा उसके बच्चे को लेकर डियर पार्क हिसार के लिए रवाना हो गई। ------------ इलाके में करीब 225 काले हिरण

वन्य प्राणी विभाग के मुताबिक आसाखेड़ा, चौटाला, भारुखेड़ा, जंडवाला बिश्नोइयां, गंगा इलाके में करीब 225 काले हिरण हैं। हिरण की इस प्रजाति को आवारा कुत्ते अक्सर अपना शिकार बनाने का प्रयास करते हैं। वन्य जीव प्रेमी घायल हिरणों को उपचार के लिए अबूबशहर, आसाखेड़ा, चौटाला या अन्य किसी गौशाला में ले जाते हैं। वहां उपचार के बाद हिरणों को डियर पार्क में छोड़ा जाता है। ------------ आसाखेड़ा गोशाला में मिला हिरण ऐसे लगा जैसे पालतू हो। ग्रामीण उसके घावों पर दवा लगाते थे तो वह बिल्कुल विचलित नहीं हुआ। प्रतीत होता है कि वह राजस्थान सीमा प्रवेश करके चौटाला-भारुखेड़ा रकबा में आया होगा। उसके पीछे आवारा कुत्ते होने के कारण वह ढाणी में बने मकान में जा घुसा। तभी सुरक्षित बचा। ग्रामीणों ने एक साथ दो वन्य प्राणियों की जान बचाकर रियल हीरो जैसा कार्य किया है।

-एसआइ लीलू राम, वन्य प्राणी विभाग, सिरसा।


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