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300 साल पहले बसा था गांव माखा, सुविधाओं की दरकार

मुकेश अरोड़ा, कालांवाली : कालांवाली से 13 किलोमीटर दूर गांव माखा डबवाली- कालांवाली मुख्य

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 05:01 PM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 05:01 PM (IST)
300 साल पहले बसा था गांव माखा, सुविधाओं की दरकार
300 साल पहले बसा था गांव माखा, सुविधाओं की दरकार

मुकेश अरोड़ा, कालांवाली :

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कालांवाली से 13 किलोमीटर दूर गांव माखा डबवाली- कालांवाली मुख्य सड़क पिपली बस स्टैंड से उत्तर दिशा की तरफ तीन किलोमीटर दूर स्थित है। गांव को लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व संधू गोत्र के दीदार व बहाल ¨सह नामक जमींदारों ने बसाया था। उन्होनें सरहाली जिला अमृतसर पंजाब से यहां आकर गांव की 2300 बीघा भूमि को खरीद कर गांव को बसाया था। बाद में यहां गोदारा, महला, धालीवाल, बान्दर, सरां, सिद्धू गोत्र के किसान भी आकर बस गए । 100 बीघा जमीन देकर बसाया महाजन परिवार

गांव की आबादी 2500 से ज्यादा है तथा 1100 के करीब मतदाता है। गांव माखा के किसानों ने पंजाब के गांव पक्का कलां से मिस्त्री जाति, गोदारा व सरां गोत्र के जमींदारों तथा चढ़ता मल माहेश्वरी को यहां लाकर बसाया था, ताकि गांव में हिसाब किताब करने वाला महाजन बस जाए। उस समय चढ़ता मल माहेश्वरी को जमींदारों ने 100 बीघा जमीन भी दी थी। उस समय लगभग सभी किसान अनपढ़ हुआ करते थे तथा गांव के लिए महाजन परिवार का होना जरूरी था।

मक्खियों के छत्तों की बहुतायत के कारण नाम पड़ा माखा

गांव के नामकरण के बारे में जानकारी देते हुए ग्रामीण भूंडा ¨सह खालसा ने बताया कि जब गांव बसाया गया था तब वृक्षों पर मधु मक्खियों के छत्ते ज्यादा थे। जिन्हें पंजाबी भाषा में मखियाल या मक्ख कहते थे। इसी कारण इस गांव का नाम माखा पड़ गया। गांव माखा में 1954 में भाखडा नहर में पानी आया जिस से यहां खुशहाली आई, इससे पूर्व यहां पीने के पानी की भारी कमी थी। माहेश्वरी परिवार की बुआ राधी देवी ने यहां अपने खर्च पर एक कुएं का निर्माण करवाया था। गांव माखा के माहेश्वरी परिवार के लोग अब कालांवाली, ब¨ठडा, गंगानगर, फरीदाबाद, बंगलौर आदि स्थानों पर व्यापार करने गए है तथा वहीं आबाद हो गए। गांव में सुविधाओं का टोटा :

गांव वासी निक्का ठेकेदार ने बताया कि गांव में प्राइमरी स्कूल व जल घर भी है। यहां पशु अस्पताल का भवन है परंतु सुविधाएं शुरू नहीं हुई है। गांव में सरकारी बस सेवा भी नहीं है। गांव में संत भोला पुरी का डेरा भी है इसमें र्गा मंदिर भी बना हुआ है जिसके निर्माण में माहेश्वरी परिवार का प्रमुख योगदान है। गांव में गुरुद्वारा साहिब का भी नया भवन बना हुआ है। यहां हाई स्कूल बनाया जाना जरूरी है। पंचायत घर का भी निर्माण होना चाहिए तथा सरकारी बस सेवा भी चालू होनी चाहिए। ग्रामीणों को तीन किलोमीटर की दूरी तय कर के पिपली के बस अड्डे से बसें पकड़नी पड़ती है। गांव की ज्यादातार गलियां कच्ची है। गांव के जोहड़ की चारदीवारी भी बनाई जाए। भूमिगत पानी मीठा होने के कारण फसलों की पैदावार अच्छी

भूमिगत पानी मीठा होने के कारण यहां धान, कपास, नरमा, गेहूं आदि फसलें अच्छी मात्रा में पैदा होती है। गांव माखा से खोखर, पिपली, पाना व असीर को पक्की सड़कें जाती है। यहां विशाल कबड्डी टूर्नामेंट भी करवाया जाता है। विकास के लिए प्रतिबद्ध, समस्याएं करवाएंगे दूर : सरपंच

गांव की सरपंच वीरपाल कौर व सरपंच प्रतिनिधि चेत ¨सह का कहना है कि गांव के विकास के लिए वे प्रतिबद्ध हैं और गांव की समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन से मिलेंगे।


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