साढ़े 18 फीट पहुंचा जलस्तर, 21 पर लाल निशान, अलर्ट मोड पर प्रशासन
जागरण संवाददाता सिरसा घग्घर नदी में लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। नदी में 12 हजार क्यूसेक
जागरण संवाददाता, सिरसा : घग्घर नदी में लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। नदी में 12 हजार क्यूसेक पानी बह रहा है। साढ़े 18 फीट के निशान पर पानी पहुंच गया है और 21 फीट पर खतरे का निशान है। रात को पानी में और अधिक बढ़ोतरी होगी क्योंकि खनौरी हेड में पानी दिन में ही 20 हजार क्यूसेक से अधिक था। घग्घर में इस वक्त कैली आ गई तो खतरा और अधिक बढ़ जाएगा। प्रशासन के लिए सबसे बड़ी परेशानी मुसाहिबवाला से लेकर बुर्जकर्मगढ़ तक कमजोर तटबंध हैं। यहां तटबंधों से पानी साढ़े 4 फीट नीचे है। यदि घग्घर में पानी की मात्रा बढ़ती है तो ये कमजोर तटबंध तबाही की निशानी छोड़ सकते हैं। प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है। घग्घर नदी की क्षमता 22 हजार क्यूसेक पानी की है और इसके बाद तो तटबंध टूटने का खतरा रहेगा।
8 सेक्टर में बांटा गया अधिकारी हुए तैनात
फिलहाल घग्घर के टूटने का खतरा नहीं है लेकिन घग्घर में कैली आ रही है। कैली का जमाव किसी स्थान पर हो गया तो नदी टूट सकती है इसलिए नदी पर 24 घंटे की निगरानी बैठा दी गई है। 90 किलोमीटर लंबी नदी को 8 सेक्टर में बांटा गया है। प्रत्येक सेक्टर में तीन टीमें काम करेंगी जो आठ-आठ घंटें तैनात रहेंगी और प्रत्येक टीम में चार सदस्य शामिल होंगे। प्रत्येक टीम को वाहन उपलब्ध करवाया गया है इसलिए कई दूसरे विभागों से वाहन सिचाई विभाग को भेजे गए हैं। पंचायत ने शुरू करवाई मिट्टी भर्ती
मुसाहिबवाला में कमजोर तटबंधों को देखते हुए पंचायत ने मिट्टी भर्ती का कार्य शुरू कर दिया है। यहां एक जेसीबी लगाई गई है और 10 ट्रैक्टर लगाए गए हैं जो तटबंधों को मजबूत करने के लिए लगे हुए हैं। सरपंच प्रतिनिधि नरेंद्र कुमार ने बताया कि सब काम अपने स्तर पर कर रहे हैं नगर विभाग का कोई सहयोग नहीं है। तटबंधों से पानी साढ़े चार फीट नीचे रह गया है। सुबह एक बार नहर पर पटवारी आया था। इसके बाद यहां नियमित निगरानी के लिए कोई नहीं है। एहतियातन कदम पड़ सकते हैं कमजोर
घग्घर नदी टूट गई तो उसमें पानी का बहाव तेज है और जब तक सामान पहुंचेगा नदी के किनारे के मिट्टी बहुत दूर तक खिसक चुकी होगी। हालांकि सिरसा में डेढ़ लाख मिट्टी के बैग भरकर अलग-अलग स्थानों पर रखे गए हैं। 1500 काठ की 12 फीट से अधिक लंबी कड़ी रखी गई है। नदी टूटने पर इन कड़ियों को कटाव के स्थान पर लगाया जाएगा और फिर लोहे की चादर लगाई जाएगी ताकि पानी का बहाव नदी की तरफ हो जाए। करीबन सौ लोहे की मोटी चद्दरें रखी गई हैं। लंबे बांस भी रखे गए हैं। इनका प्रयोग नदी में गुजरने वाली किसी चीज को किनारे की तरफ धकेलने का है। यदि कहीं से नदी टूट गई तो 15 से 20 किलोमीटर दूर से सामान उठाना पड़ेगा और तब तक कटाव बढ़ जाएगा। हर सेक्टर में जेसीबी और ट्रैक्टर ट्रॉली
प्रशासन ने जो प्लान तैयार किया है उसमें प्रत्येक सेक्टर के लिए जरूर पड़ने पर जेसीबी मशीन व ट्रैक्टर ट्रालियों का ब्योरा भी दिया गया है और सभी के मोबाइल नंबर दर्ज हैं ताकि दूर से संशाधन मंगाने के बजाय नजदीक से संशाधन उपलब्ध करवाकर कार्य किया जा सके। प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो यहां नाव, लाइफ जैकेट स्टॉक में हैं। जरूरत पड़ते ही इन्हें नदी पर पहुंचा दिया जाएगा। :::::हमारे जिले में नदी टूटने का खतरा नहीं है। सभी आवश्यक प्रबंध हमने कर रखे हैं। कैली आने की स्थिति में परेशानी आएगी। गत वर्ष भी केली आने के कारण परेशानी आई थी लेकिन समय रहते कैली को हटा दिया गया। इस वर्ष सभी तैयारियां पूर्ण कर रखी हैं। तटबंधों की बार-बार जांच कर रहे हैं। एनके भोला,कार्यकारी अभियंता, नहरी विभाग