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संस्कृत अध्यापकों के 82 पद समाप्त, अध्यापकों में रोष

जागरण संवाददाता, सिरसा : हरियाणा बेरोजगार संस्कृत अध्यापक संघ ने जिला में सरकार द्वारा संस्कृत अध

By Edited By: Published: Mon, 04 Jul 2016 06:03 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jul 2016 06:03 PM (IST)

जागरण संवाददाता, सिरसा :

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हरियाणा बेरोजगार संस्कृत अध्यापक संघ ने जिला में सरकार द्वारा संस्कृत अध्यापकों के 82 पदों को समाप्त करने पर रोष व्यक्त किया है और सरकार से इन पदों को तुरंत बहाल करने की मांग की है। संघ की बैठक सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय में हनुमान प्रसाद शास्त्री की अध्यक्षता में हुई।

बैठक को संबोधित करते हुए शास्त्री ने कहा कि यह हरियाणा सरकार का ¨नदनीय फैसला है और इससे संस्कृत भाषा के विकास में अवरोध पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार दसवीं कक्षा तक संस्कृत को अनिवार्य विषय लागू करने की बात करती है, दूसरी तरफ ऐसे तुगलकी फरमान जारी करके संस्कृत को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यह बेरोजगारी बढ़ाने जैसा कदम है। उन्होंने कहा कि 1998 में शिक्षा मंत्री रहे रामबिलास शर्मा ने ही इन अध्यापकों के पद सृजित किए थे और अब उन्हें समाप्त किया जा रहा है। शास्त्री ने कहा कि सरकार के इस फैसले के लिए स्वयं संस्कृत अध्यापक भी जिम्मेदार है, क्योंकि कुछ अध्यापक ऐसे हैं, जो पिछले आठ दस साल से एक ही स्कूल में हैं और उनके पास 5 से 10 विद्यार्थी ही संस्कृत पढ़ रहे हैं जबकि उन्हें सरकार की ओर से प्रति माह लाखों रुपये मानदेय मिलता है। हनुमान प्रसाद शास्त्री ने कहा कि जिले से 82 पद निरस्त करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे तुरंत प्रभाव से वापिस लेना चाहिए। इस अवसर पर सचिव मोहन लाल पूनिया, विकास शास्त्री, रघुवीर ¨सह, नीरज कुमार, प्रवीण कुमार आदि मौजूद थे।


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