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फर्जी आरसी मामले में 12 और गाड़ियां बरामद, मुख्य जालसाज न्यायिक हिरासत में

सीआइए सिरसा ने फर्जी आरसी मामले में अंबाला रोहतक और जींद में द

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 06:37 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 06:37 AM (IST)
फर्जी आरसी मामले में 12 और गाड़ियां बरामद, मुख्य जालसाज न्यायिक हिरासत में
फर्जी आरसी मामले में 12 और गाड़ियां बरामद, मुख्य जालसाज न्यायिक हिरासत में

जागरण संवाददाता, सिरसा : सीआइए सिरसा ने फर्जी आरसी मामले में अंबाला, रोहतक और जींद में दबिश देकर फर्जी कागजात पर बेची गई 12 गाड़ियां बरामद की हैं। इस मामले का मास्टर माइंड रोहतक निवासी सुनील चिटकारा को पूछताछ के बाद अदालत पेश किया गया। जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया लेकिन इससे पहले पुलिस उससे कई राज उगलवा गई। अब तक 600 ऐसी गाड़ियों की जानकारी पुलिस के हाथ लगी है जो इसी गिरोह ने फर्जी कागजात के आधार पर पंजीकरण कार्यालय के कर्मचारियों के साथ मिलकर फर्जी आरसी के आधार पर बेच दी। 17 गाड़ियों को पुलिस पहले ही बरामद कर चुकी है।

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14 जनवरी को सिरसा में पकड़ी गई थी तीन गाड़ियां

सीआइए सिरसा ने जगाधरी नंबर की तीन गाड़ियां सिरसा में पकड़ी थी जिसे फर्जी आरसी के आधार पर बेचा गया था। केस दर्ज कर जांच शुरू की तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया। मुख्य सरगना सुनील चिटकारा ने जगाधरी में फर्जी कागजात के आधार पर रजिस्ट्रेशन करवाया और उन्हें बेच दिया। जांच में सामने आया कि जगाधरी के चार क्लर्क इस मामले में मिले हुए थे और 16 ऐसी फाइलें बरामद हुई जिन पर सक्षम अधिकारियों के हस्ताक्षर के बिना ही डिजिटल हस्तक्षार से ही आरसी बना दी गई।

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कमीशन एजेंट के सहारे बेची गई सैकड़ों गाड़ियां

सीआइए इंस्पेक्टर नरेश कुमार ने बताया कि जांच में सामने आया है कि मुख्य जालसाज सुनील चिटकारा कर्नाटक, पश्चिम बंगाल व दूसरे राज्यों से फाइनेंस से बेची गई गाड़ियां बैंकों द्वारा बरामद की गई उनकी ऑनलाइन बोली देता था और फिर इन गाड़ियों के चेसिस नंबर बदल देता था। साथ ही गाड़ियों की कीमत घटाने के लिए बैंक का फर्जी लैटर लगाता। मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर से पासिग के फर्जी कागजात तैयार करता। इसके बाद फर्जी पते पर इनका पंजीकरण किया जाता। वाहन की कीमत घटाकर सरकार को फीस का नुकसान पहुंचाया जाता। फर्जी कागजात से आरसी बनती। सैकड़ों ऐसी गाड़ियां हैं जो कमीशन एजेंट को 15 से 20 हजार रुपये देकर गाड़ियां आगे बेच दी गई।

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दादरी पंजीकरण कार्यालय से भी जुड़े हैं गिरोह के तार

पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि जगाधरी के अलावा दादरी से भी वाहनों का फर्जी कागजात पर पंजीकरण हुआ है। यहां कितनी गाड़ियों का पंजीकरण हुआ है इसके लिए दादरी से रिकार्ड हासिल करेगी। सीआइए इंस्पेक्टर ने बताया कि पुलिस जांच में ट्रैक्टर व जेसीबी भी इसी तरह बेचे जाने का खुलासा हो गया है। जल्द ही अन्य लोगों की गिरफ्तारी को लेकर दबिश देंगे।


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