विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अदालत में जाएंगे : बतरा
पंचकूला नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की तरफ से नियुक्त आब्जर्वर पूर्व मंत्री सुभाष बतरा और कृष्णमूर्ति हुड्डा ने विधानसभा चुनाव के खिलाफ अदालत में जाने का ऐलान कर दिया है।
जागरण संवाददाता, रोहतक :
पंचकूला नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की तरफ से नियुक्त आब्जर्वर पूर्व मंत्री सुभाष बतरा और कृष्णमूर्ति हुड्डा ने विधानसभा चुनाव के खिलाफ अदालत में जाने का ऐलान कर दिया है। पूर्व मंत्रियों ने विधानसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर रहते चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने का आरोप लगाया है। मैना पर्यटन केंद्र में शुक्रवार को पत्रकारवार्ता की गई।
पूर्व गृह मंत्री सुभाष बतरा ने कहा कि हाल ही में शहरी स्थानीय निकाय के चुनाव हुए। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सेलजा ने पार्टी सिबल पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया, जिसका परिणाम बेहतर सामने आया है। इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश पैदा हुआ और पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि भाजपा ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया, लेकिन इसके बावजूद परिणाम विपरीत रहे। पंचकूला नगर निगम चुनाव में उनको पार्टी की तरफ से आब्जर्वर नियुक्त किया गया था। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया जबकि वे ऐसा नहीं कर सकते। विधानसभा अध्यक्ष संवैधानिक पद है और किसी पार्टी विशेष के लिए प्रचार-प्रचार नहीं करते। उनके प्रचार करने को लेकर कानूनविदों की सलाह दी जा रही है और इसके बाद अदालत में जाएंगे।
भूपेंद्र हुड्डा को भी प्रचार के लिए निमंत्रण की जरूरत नहीं : कृष्णमूर्ति
पूर्व मंत्री एवं पंचकूला नगर निगम चुनाव में आब्जर्वर रहे कृष्णमूर्ति हुड्डा ने कांग्रेस में गुटबाजी के सवाल पर कहा कि पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रचार में नहीं बुलाए जाने के सवाल पर कहा कि उनको निमंत्रण की जरूरत नहीं है। वे पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और दस साल मुख्यमंत्री भी रहें। इसलिए उनको खुद ही पार्टी प्रचार के लिए जाना चाहिए था। पहले हुए स्थानीय शहरी चुनाव में भी अगर कांग्रेस पार्टी सिबल पर चुनाव लड़ती तो रोहतक में आज भाजपा का मेयर नहीं होता। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलनरत हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सेलजा और पूर्व मंत्री सुभाष बतरा के साथ नया साल सिघु बॉर्डर पर किसानों के साथ मनाया। किसानों की मांगें जायज है कि सरकार को बिना देरी किए मान लेनी चाहिए।