माता कालरात्रि की कृपा से धरती को राक्षसों से मिली मुक्ति : विद्याराम
नवरात्र के सातवें दिन देवी कालरात्रि की आराधना की जाती है। देवी दुर्गा का यह रूप क्रोधित है लेकिन कालरात्रि माता अपने भक्तों के लिए कोमल हृदय रखती हैं।
संवाद सहयोगी, महम : नवरात्र के सातवें दिन देवी कालरात्रि की आराधना की जाती है। देवी दुर्गा का यह रूप क्रोधित है लेकिन कालरात्रि माता अपने भक्तों के लिए कोमल हृदय रखती हैं। ये शब्द गोहाना रोड स्थित काली देवी मंदिर के पुजारी विद्याराम व मंदिर में गद्दीनशीन आशा देवी ने कथा सुनाते हुए कहे। उन्होंने बताया कि सातवें दिन के नवरात्र की आरती समाज सेवी सुशील गर्ग व उनकी धर्मपत्नी सुनीता गर्ग ने की। प्राचीन कथा के अनुसार मां दुर्गा ने राक्षस रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त की बूंदों से लाखों रक्तबीज उत्पन्न होने लगे। तब मां दुर्गा ने कालरात्रि के रूप में अवतार लिया। मां कालरात्रि ने रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को अपने मुख में भर लिया। जिससे रक्तबीज का रक्त जमीन पर नहीं गिरा और रक्तबीज फिर से नहीं हो पाया।
मंदिर संचालिका आशा ने बताया कि आठम व नवमी एक ही दिन होने के कारण भंडारा शनिवार को ही लगाया जाएगा। भंडारे में उचित शारीरिक दूरी का विशेष ध्यान रखा जाएगा।