दो माह की बेटियों का स्नेह रहा इम्युनिटी बूस्टर, सकारात्मकता विचारों से कोरोना को हराया
खेड़ी साध निवासी अनिल सिधु गत माह हो गए थे कोरोना संक्रमित
मैंने कोरोना को हराया :::
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- खेड़ी साध निवासी अनिल सिधु, गत माह हो गए थे कोरोना संक्रमित जागरण संवाददाता, रोहतक :
कुछ सप्ताह पहले ही पिता बना। दो जुड़वां बेटियों के घर में आगमन से सब खुश थे। इसी बीच मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। यह परिवार के लिए झटके की तरह था। खुशी के बीच मायूसी छा गई। कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रकोप से एक खौफ भी था। जब रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो पहला ख्याल बेटियों का आया। कहीं मेरी वजह से इन्हें परेशानी न हो जाए। मेरे अलावा परिवार के अन्य सदस्यों की रिपोर्ट निगेटिव आने पर थोड़ी राहत मिली, लेकिन मेरे लिए सभी चितित थे। घर में ही अलग कमरे में आइसोलेशन में रहा। यह कहना है खेड़ी साध निवासी अनिल सिधू का। वह पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ डेंटल साइंसेज (पीजीडीआइएस) में बतौर मिनिस्ट्रियल स्टाफ कार्यरत हैं।
अनिल गत माह कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। वह बताते हैं कि बेटियों के पास फिर से जाने का इच्छा से कोरोना को दस दिन के भीतर हरा दिया। खांसी-जुकाम ज्यादा था। चिकित्सकों की सलाह के साथ ही घरेलू नुस्खों को इलाज में इस्तेमाल किया। गुनगुना पानी पीने के साथ ही गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करने से गले में राहत रही। सादे व पौष्टिक आहार का सेवन किया। सुबह-शाम योग व प्राणायाम का रुटीन बनाया। इसके अलावा बड़ा हौसला बेटियों का स्नेह रहा। उनसे दूरी का असर रहा कि एक दिन भी गलत विचार मन में नहीं आने दिया। ज्यादा फिक्र होती तो बेटियों को दूर से देख लेता। उनका चेहरा, खिलखिलाता चेहरा इम्युनिटी बूस्टर का काम कर गया। मेरा मानना है कि कोरोना महामारी में अपनों के बीच स्नेह बढ़ाने का भी अच्छा मौका है। कोविड-19 नियमों की पालना के साथ ही परिवार के साथ समय बिताएं। परिवार का साथ और सकारात्मकता किसी भी परिस्थिति में हौसला दे देती है।