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एनएच-9 पर तिरंगा लगे ट्रैक्टरों का डेरा, 15 किमी पैदल चलकर टीकरी पहुंच रहें किसान

रोहतक शहर की भीड़भाड़ से जैसे ही बाहर निकलते तो दिल्ली बाईपास पर ट्रैक्टरों के काफिले निकलना शुरू हो गए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 07:30 AM (IST)
एनएच-9 पर तिरंगा लगे ट्रैक्टरों का डेरा, 15 किमी पैदल चलकर टीकरी पहुंच रहें किसान
एनएच-9 पर तिरंगा लगे ट्रैक्टरों का डेरा, 15 किमी पैदल चलकर टीकरी पहुंच रहें किसान

जागरण संवाददाता, रोहतक :

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रोहतक शहर की भीड़भाड़ से जैसे ही बाहर निकलते तो दिल्ली बाईपास पर ट्रैक्टरों के काफिले निकलना शुरू हो गए। किसी ट्रैक्टर पर तीन तो किसी पर चार झंडे लगे हुए थे। तिरंगा का साइज बड़ा तो किसान यूनियन के झंडे का साइज कम रहा। रोहतक से जैसे-जैसे टीकरी बार्डर की तरह आगे बढ़ते गए तो ट्रैक्टरों की संख्या में इजाफा होता दिखा। केएमपी से आगे तो जहां तक नजर गई, वहां तक ट्रैक्टर ही ट्रैक्टर नजर आ रहे हैं। ट्रैक्टर यहां से आगे नहीं बढ़ पा रहे। किसानों को सड़क किनारे, फुटपाथ या जहां भी जगह मिली, वहां ट्रैक्टर खड़ा किया और पैदल टीकरी के लिए निकल पड़ते हैं। पैदल जाने के लिए करीब 15 किलोमीटर लंबा सफर किसान तय करते हैं।

दिल्ली बाईपास पर ट्रैक्टरों की लाइन लग गई है। किसान आंदोलन से पहले इस वाहन पर एक-आधा ट्रैक्टर नजर आता था और लग्जरी गाड़ियों के अलावा ट्रैव‌र्ल्स वाहनों की संख्या अधिक रहती थी। लेकिन सोमवार को अन्य वाहन न के बराबर थे और रोड पर ट्रैक्टर ही ट्रैक्टर नजर आ रहे हैं। खरावड़ गांव के समीप लंगर सेवा चल रही है, जहां किसान अपने ट्रैक्टरों को साइड में लगाकर लंगर छककर आगे की तरफ रवाना हो जाते हैं। थोड़ा आगे चलते तो ईस्माइला गांव के समीप कुछ युवा किसान ट्रैक्टरों को कतार में खड़ा कर झुंड बनाकर आगे की रणनीति बनाते दिखे।

रोहद टोल प्लाजा पर स्थिति जाम जैसी थी। ऐसा लग रहा था कि यहां से आगे नहीं जा पाएंगे। लेकिन थोड़ा इंतजार करने के बाद ट्रैक्टरों के पहिए आगे की तरफ बढ़ना शुरू हो गए। टोल प्लाजा की लेन से निकलने में काफी वक्त लग रहा था क्योंकि ट्रैक्टरों की संख्या दिल्ली बाईपास से कई गुना ज्यादा बढ़ चुकी थी। कुछ युवा ट्रैक्टर की छत पर बैठकर मोबाइल में वहां का नजारा कैद कर रहे थे।

सीन नंबर - 3

किसी तरह कुंडली-मानेसर-पलवल हाईवे तक पहुंच गए। लेकिन इससे आगे हाईवे के दोनों तरफ ट्रैक्टरों की कतार लगी हुई थी। थोड़ा आगे किसानों के टेंट भी लगे हैं, जहां किसान ठहरे हुए हैं। यहां से आगे ट्रैक्टर ले जान संभव नहीं था। इसलिए किसानों ने अपने ट्रैक्टरों को सड़क किनारे, फुटपाथ या अन्य कोई भी खाली जगह दिखी तो वहीं पर खड़ा कर दिया। यहां से किसान पैदल ही टीकरी बार्डर के लिए रवाना होना शुरू हो जाते हैं। पैदल जाने वालों में युवाओं की संख्या ज्यादा है। कोई बहादुरगढ़ बाईपास तो कोई शहर के अंदर से पैदल निकल रहा है।

कोई सजाता मिला ट्रैक्टर तो कोई गानों में झूम रहा

बहादुरगढ़ शहर में किसान ही किसान नजर आ रहे हैं। कोई ट्राली में आराम कर रहा है तो कोई खाना -बनाने की तैयारी। टेंट के बाहर लकड़ियों से आग जला रखी है, जहां खाना भी पक रहा है तो सर्दी से बचने के लिए शरीर की सिकाई भी। युवा अपने ट्रैक्टरों को तरह-तरह से सजा रहे हैे। ट्रैक्ट्ररों को इस तरह से सजाया जा रहा है, जैसे दुल्हे की गाड़ी को सजाते हैं। युवा हरियाणवी और पंजाबी गानों पर थिरक भी रहे थे। कहीं-कहीं पर झांकियों के लिए किसान व जवान के पुतले बन रहे हैे। सजे हुए ट्रैक्टर और पुतलों के साथ सेल्फी ली जा रही है।


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