..शोर सुना तो स्टेशन पर पहुंचा, ट्रेन का लोहा भी कागज की तरह जल रहा था
मैं सब्जी मंडी की ओर जा रहा था। फेरी लगाकर रेडीमेड अंडर गारमेंट बेचने का काम है। रेलवे स्टेशन के आसपास पहुंचा तो धुंआ दिखाई दिया। थोड़ी ही देर में शोरगुल शुरू हुआ तो पास गया। भयानक ²श्य था।
जागरण संवाददाता, रोहतक : मैं सब्जी मंडी की ओर जा रहा था। फेरी लगाकर रेडीमेड अंडर गारमेंट बेचने का काम है। रेलवे स्टेशन के आसपास पहुंचा तो धुंआ दिखाई दिया। थोड़ी ही देर में शोरगुल शुरू हुआ तो पास गया। भयानक ²श्य था। एक ट्रेन में आग लगी हुई थी। घटना के प्रत्यक्षदर्शी काठमंडी निवासी रामकुमार ने कहा कि ट्रेन का लोहा ऐसा जल रहा था मानो कागज हो। आग इतनी भीषण थी कि लोगों की आवाज से ज्यादा ट्रेन में उठी लपटों का शोर था।
हिसार बाईपास निवासी प्रवीण बताते हैं कि करीब दो बजे आग लगी। उस समय वह प्लेटफॉर्म पर थे। एकदम से अफरा-तफरी मच गई। सबसे पहले यही ख्याल था कि कोई ट्रेन के अंदर तो नहीं फंस गया। अच्छा रहा कि ट्रेन खाली थी, अक्सर यार्ड में खड़ी ट्रेन में लोग बैठे मिलते हैं। प्लेटफॉर्म नंबर-2 पर जींद के लिए ट्रेन का इंतजार करते अरविद्र ने बताया कि प्लेटफॉर्म पर ही पेड़ की छांव में लेटे हुए थे। एकदम से शोर हुआ तो आंखें खुली, स्टेशन की एक ओर से धुंआ उठ रहा था, पास जाकर देखा तो ट्रेन के आखिरी के डिब्बे पूरी तरह आग की गिरफ्त में थे। करीब डेढ़ घंटे तक आग पर काबू पाया जा सका। वर्जन
दोपहर करीब दो बजे का समय था। मंडी की ओर जाते हुए ट्रेन में आग का पता चला। आग भीषण थी, दूर से देखने पर भी डर लग रहा था।
- रामकुमार, फेरीवाला।
--- मैं प्लेटफॉर्म पर था। एकदम से आग-आग का शोर सुनाई दिया। कुछ समझ पाते इससे पहले ही तीन डिब्बे चपेट में आ गए थे।
- प्रवीण, हिसार बाईपास।
--- शोर होने पर आंखें खुल गई। स्टेशन के एक तरफ धुंआ उठ रहा था। धुंए की तरफ जाने पर ट्रेन में आग का पता चला।
अरविद्र, यात्री।