Move to Jagran APP

जान बचाने वाले ही अब बन रहे हैं मौत का कारण

जागरण संवाददाता, रोहतक : लोगों की जान बचाने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी और अधिकारी ही अब लोगा

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 07:07 PM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 07:07 PM (IST)
जान बचाने वाले ही अब बन रहे हैं मौत का कारण
जान बचाने वाले ही अब बन रहे हैं मौत का कारण

जागरण संवाददाता, रोहतक :

loksabha election banner

लोगों की जान बचाने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी और अधिकारी ही अब लोगों की मौत का कारण बन रहे हैं। भले ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हों लेकिन मरीजों को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डाक्टरों के काम करने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसी घायल की मरहम-पट्टी करने से लेकर टांके लगाने तक का काम चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी कर रहे हैं। वहीं, जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से भी जांच कमेटी का गठन कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली जा रही है। अभी तक न तो संबंधित दोषी कर्मचारियों के ऊपर कोई कार्रवाई हुई है और न ही ऐसी घटनाओं पर रोक लगी है। ऐसी लापरवाही का क्रम बदस्तूर जारी है जबकि इस कारण से मरीजों को अपनी जान तक गंवानी पड़ रही है।

केस एक :

जानकारी के मुताबिक, सांपला स्थित सीएचसी यानी कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक युवक इलाज के लिए पहुंचा था। युवक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह से घायल हो गया था। उसके सिर, हाथ व पैर में चोट के गहरे निशान थे। सीएचसी में ड्यूटी पर तैनात डाक्टर ने घायल को सरसरी निगाह से देखने के बाद चतुर्थ श्रेणी के सुरक्षाकर्मी को आदेश दिया कि वह घायल की ड्रे¨सग कर टांगे लगा दे। आदेश मिलने के बाद सुरक्षाकर्मी ने वैसा ही किया। उसने पहले तो मरीज के सिर में चोट के स्थान पर दवाई से सफाई की। इसके बाद टांके तक लगा दिए। मरीज की मरहम पट्टी भी की। इस बात की शिकायत उच्चाधिकारियों तक भी पहुंच गई। चतुर्थ कर्मचारियों द्वारा इलाज कराने को लेकर मरीजों में भी रोष है। बताया जा रहा है कि सीएचसी में डाक्टर अक्सर ही सुरक्षाकर्मी को इस तरह के आदेश दे देते हैं। यह काम करते हुए उसे इतना अनुभव हो गया है कि वह मरीजों को टांके तक लगाने लग गया है। मामले के मीडिया में आने के बाद से ही अब स्वास्थ्य हलके में हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले में भी जांच के लिए टीम गठित कर दी गई थी लेकिन अभी तक कुछ भी कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं, आरोपित सुरक्षाकर्मी ने बताया कि उसे तो जो आदेश मिला, उसने वही किया। उसने बताया कि मरीज को देखने के बाद डाक्टर ने बताया था कि मरहम पट्टी करने के बाद वह टांके लगा दे। उसने आदेश के अनुसार ही काम किया। सुरक्षाकर्मी ने बताया कि वह आदेश का पालन न करे तो उसे नौकरी से हटाने की धमकी दी जाती है। केस दो :

स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रत्येक बुधवार को छोटे बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाया जाता है। इसके लिए टीकाकरण अभियान भी चलाया जाता है। इसी के तहत बुधवार को भी दत्तौड़ गांव के सेंटर पर टीका करण किया गया। इस दौरान शून्य से डेढ़ साल तक के बच्चों को टीके लगाए गए। स्वास्थ्य विभाग के कहने पर ही मनीषा पत्नी सुरेंद्र ने अपने करीब दो महीने के बच्चे देवेश का टीकाकरण कराया। जानकारी के मुताबिक, नर्स ने देवेश को एक टीका जांघ और एक टीका कंधे में लगाया। इसके अतिरिक्त दवाई भी पिलाई। परिजनों ने बताया कि घर आने पर बच्चे ने रोना शुरू कर दिया। कुछ घंटे के भीतर ही बच्चे के चेहरे का रंग बदलने लगा और शरीर भी फूल गया। इसके बाद परिजन बच्चे को लेकर निजी अस्पताल में पहुंचे। वहां पर भी जब बच्चों को आराम नहीं हुआ तो वह पीजीआइ में लेकर आए। पीजीआइ में डाक्टरों के द्वारा इलाज शुरू करने के कुछ मिनटों के भीतर ही बच्चे ने दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से इंजेक्शन लगाए जाने के बाद ही बच्चे की तबियत खराब हुई। जिस कारण से उसने दम तोड़ दिया। अब इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से जांच बैठा दी गई है।

-------------------

दोनों ही मामलों में जांच टीम गठित कर दी गई है। मामले की जांच के बाद जो भी रिपोर्ट आएगी, उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। अभी मामले की जांच चल रही है।

- डा. अनिल बिरला, सीएमओ, रोहतक।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.