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गांव की मिट्टी में कुश्ती के गुर सीख ये बेटी दे रही प्रतिद्वंद्वियों को पटखनी

गांव की मिट्टी में कुश्ती के गुर सीखकर निक्की प्रतिद्वंद्वियों को पटखनी दे रही है। हालांकि उसकी यह राह आसान नहीं थी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 01:51 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 01:51 PM (IST)
गांव की मिट्टी में कुश्ती के गुर सीख ये बेटी दे रही प्रतिद्वंद्वियों को पटखनी
गांव की मिट्टी में कुश्ती के गुर सीख ये बेटी दे रही प्रतिद्वंद्वियों को पटखनी

रोहतक [रतन चंदेल]। गांव की मिट्टी में कुश्ती के गुर सीखकर एक बेटी प्रतिद्वंद्वियों को पटखनी दे रही है। हालांकि उसकी यह राह आसान नहीं थी। शुरुआत में तो परिवार ने ही कुश्ती खेलने का विरोध किया, लेकिन जब मेडल जीतकर घर पहुंची तो सिर आंखों पर बैठाया। यहां बात हो रही है दूसरी बार जिला केसरी का खिताब जीतने वाली निक्की की। रोहतक के बसंत विहार में रहने वाली निक्की ने 62 किलोग्राम से अधिक भार वर्ग में कुश्ती जीतकर यह खिताब जीता है।

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मूलरूप से सोनीपत के धनाना गांव निवासी सरकारी कर्मचारी पिता जगबीर सिंह के परिवार का पहलवानी से दूर-दूर तक कोई जुड़ाव नहीं था। बेटी निक्की जब पहलवान बनने चली तो परिवार और आसपड़ोस के लोगों ने विरोध किया। उन्होंने माता-पिता पर दबाव भी बनाया। उस समय मां सुमित्रा ने निक्की का समर्थन किया। तब वह 10वीं में पढ़ती थी। मां का साथ मिलने से निक्की के पहलवान बनने के सपने को पंख लग गए। उसने गांव में ही अखाड़े में अभ्यास शुरू किया।

निक्की ने करीब छह महीने गांव की ही एक महिला पहलवान के साथ कुश्ती का अभ्यास किया। निक्की की प्रतिभा को देखकर उन्होंने लड़कों के साथ भी कुश्ती का अभ्यास कराया। इसके बाद उसने न केवल गांव में हुई कुश्ती प्रतियोगिता में जीत दर्ज की, बल्कि स्टेट में भी मेडल जीते। उन्होंने 2007 से 12 तक गांव के अखाड़े में ही अभ्यास किया। इसके बाद कुश्ती में करियर बनाने के लिए रोहतक का रुख किया। बसंत विहार में रहकर छोटूराम स्टेडियम में मेट पर अभ्यास करने लगी। इसके बाद इंटर यूनिवर्सिटी, नेशनल और इंटरनेशनल मुकाबलों में जीत दर्ज कर प्रदेश और देश का नाम रोशन किया। निक्की अब एशियन चैंपियनशिप की तैयारी कर रही हैं।

चोट ने डरा दिया था

निक्की ने गांव के अखाड़े में दो महिला पहलवानों को कुश्ती करते देखा था। उन्होंने निक्की को भी पहलवानी की सलाह दी। निक्की ने उनको देखकर ही पहलवानी शुरू की थी। गांव में कोच संजय के पास कुश्ती सीखते हुए दो माह ही हुए थे कि दाएं घुटने में चोट लग गई और और उसे ठीक होने में लंबा समय लग गया। निक्की बताती हैं कि इस चोट के बाद उनको पहलवानी करते समय चोटिल होने का डर भी लगने लगा था। मगर अन्य पहलवानों को चोट के बाद उबरते देखा तो फिर से अखाड़े में उतरी और उसके बार पीछे मुड़कर नहीं देखा।

उपलब्धियां

  • वर्ष 2016 में गोवाहाटी में हुई एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। सिंगापुर में हुई कॉमनवेल्थ कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक झटका।
  • वर्ष 2015 में कजाकिस्तान में कुश्ती के प्रेसीडेंट कप में 75 किलोग्राम भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीता। यूएसए में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व किया।
  • वर्ष 2013 में दक्षिण अफ्रीका में हुई कामनवेल्थ चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।
  • अप्रैल 2012 में पंजाब में हुए शहीद भगत सिंह अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल अपने नाम किया। इसके अलावा वर्ष 2011 और 2010 में हुई जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व किया।
  • वर्ष 2012, 13 और 15 में ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी कुश्ती मुकाबलों में प्रथम स्थान पाया।

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