भतीजी ने घर पर रखा ख्याल तो 74 साल की बुआ ने कोरोना को हराया
कोरोना संक्रमण को लेकर जिस प्रकार से हौव्वा बनाया जा रहा है उसे गलत साबित करने वाले लोग भी हमारे बीच हैं। जिन्होंने बड़ी उम्र में भी घर रहकर ही कोरोना को हराया। लेकिन ऐसा करने वालों के साथ उनके अपनों का प्यार व सही व्यवहार का बड़ा अहम योगदान है।
विक्रम बनेटा, रोहतक: कोरोना संक्रमण को लेकर जिस प्रकार से हौव्वा बनाया जा रहा है, उसे गलत साबित करने वाले लोग भी हमारे बीच हैं। जिन्होंने बड़ी उम्र में भी घर रहकर ही कोरोना को हराया। लेकिन ऐसा करने वालों के साथ उनके अपनों का प्यार व सही व्यवहार का बड़ा अहम योगदान है। बलियाणा गांव निवासी गंगादेई ने 74 वर्ष की उम्र में घर पर रहकर ही कोरोना को हराया है। गंगादेई दरअसल बलियाणा गांव की बेटी हैं। शादी के बाद जब बच्चे नहीं हुए तो इनके पति ने साथ छोड़ दिया था, तब से ये अपने मायके में ही रह रही हैं। गंगादेई 15 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुई थी, जिन्हें घर पर ही रखने का फैसला उनकी भर्ती आरती ने किया, जो कि शहर के एक निजी अस्पताल में एलटी(लैब टैक्नीशियन) हैं।
शुरू के एक सप्ताह खराब रही तबियत
कोरोना संक्रमण के शुरूआती सप्ताह में गंगादेई की तबियत ज्यादा खराब रही। बुखार के साथ-साथ उल्टी व दस्त की समस्या भी बनी रही। लेकिन उनकी भतीजी आरती विटामिन सी, मल्टीविटामिन के साथ-साथ पीसीएम देती रही। वहीं दिन में एक बार चार व शाम के समय काढ़ा उन्हें दिया गया। फिर धीरे-धीरे उनकी तबियत में सुधार आता गया। वहीं भोजन मे उन्हें दलिया, खिचड़ी के साथ फल उन्हें दिए गए।
-सुबह जल्द उठ जाती व दिन में देखती टीवी
गंगादेई की भतीजी आरती के अनुसार बुआ सुबह उनसे पहले ही उठकर कमरे के दरवाजे में बैठी मिलती थी। परिवार के लोग उनका मन बहलाने के लिए दूर रहकर ही उनसे बातें करते थे। वहीं दिन के समय उनकी बुआ मनोरंजन के लिए टीवी देखती थी। 15 दिन के बाद शनिवार को गंगादेई की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
-दिन में ड्यूटी व सुबह-शाम बुआ की सेवा
बलियाणा निवासी आरती सुबह की दवा व खाना देकर आरती अपनी ड्यूटी के लिए अस्पताल चली जाती थी वहीं शाम के समय वहां से लौटती तो फिर देर रात तक बुआ के लिए दवा व खाने में जुटी रहती। परिवार से मिले प्यार की वजह से ही गंगादेई ने 15 दिन में घर पर रहकर ही कोरोना को हरा दिया।
-देख लिए थे अस्पतालों के हालात: आरती
आरती के अनुसार वो खुद एक अस्पताल में सेवारत हैं तो उन्हें अस्पतालों के वर्तमान हालात का अच्छे से पता था। इसलिए बुआ को अस्पताल ने ले जाकर घर ही इलाज करने का फैसला लिया, जो कि सही साबित हुआ। उन्हें इस बात की बड़ी खुशी है कि बुआ स्वस्थ होने के बाद अब फिर से परिवार के बीच पहले की तरह रहेंगी।