Lung Disease: चूल्हे से कमजोर हो रहे महिलाओं के फेफड़े, दिल की धड़कन पर भी प्रभाव
रिसर्च में सामने आया कि गैस पर खाना बनाने वाली महिलाओं की (1.5) फेफड़ों की क्षमता (फोर्स विटाल केपेसिटी) चूल्हे पर खाना बनाने वाली महिलाओं की अपेक्षा (2+) अधिक थी।
पुनीत शर्मा, रोहतक। Lung Disease: चूल्हे पर खाना बनाने वाली महिलाओं को धुएं के कारण विभिन्न बीमारियों से जूझना पड़ता है। चूल्हे पर खाना बनाने वाली 92 फीसद महिलाओं को फेफड़े संबंधी बीमारी व सांस फूलने की शिकायत रहती है। यह बात पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के चिकित्सकों की रिसर्च में सामने आई है। रिसर्च में शामिल की गई महिलाएं ऐसी थीं जो अपने किसी रिश्तेदार मरीज को पीजीआइ लेकर पहुंचीं थीं।
पीजीआइएमएस के फिजियोलॉजी विभाग के चिकित्सक डा. राजेश गुप्ता के निर्देशन में विद्यार्थियों ने चूल्हे पर खाना बनाने वाली और गैस पर खाना बनाने वाली 30 से 45 आयु वर्ग की 60 महिलाओं को अपनी रिसर्च में शामिल किया। रिसर्च में सामने आया कि गैस पर खाना बनाने वाली महिलाओं की (1.5) फेफड़ों की क्षमता (फोर्स विटाल केपेसिटी) चूल्हे पर खाना बनाने वाली महिलाओं की अपेक्षा (2+) अधिक थी।
चूल्हे पर खाना बनाने वाली 30 फीसद महिलाओं में फेफड़े संबंधी बीमारी की शुरुआत हो चुकी थी, जबकि 62 फीसद महिलाओं में मध्यम स्तर की बीमारी थी। पीजीआइ के फिजियोलॉजी विभाग के चिकित्सकों की रिसर्च में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य रिसर्च में 30 गैस पर और 30 चूल्हे पर खाना बनाने वाली 30 से 45 आयु वर्ग की महिलाओं को किया गया शामिल।
दिल की धड़कन भी अधिक
चिकित्सकों ने बताया कि जो महिलाएं चूल्हे पर खाना बनातीं हैं, उन्हें गैस पर खाना बनाने वाली महिलाओं की अपेक्षा व्यायाम करने पर जल्द थकावट होती है। गैस पर खाना बनाने वाली महिलाओं की क्षमता 92 फीसद पाई गई तो चूल्हे पर खाना बनाने वाली महिलाओं में यह 60 फीसद ही पाई गई। चूल्हे पर खाना बनाने वाली महिलाओं की दिल की धड़कन 86.26 और गैस पर खाना बनाने वाली महिलाओं की 82.81 पाई गई। दिल की धड़कन पर नब्ज का प्रभाव चूल्हे पर खाना बनाने वाली महिलाओं में 140 और गैस पर खाना बनाने वाली महिलाओं में 88 फीसद पाया गया।
बढ़ती बीमारी से राहत दिला रही उज्जवला योजना
1 मई 2016 को केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्जवला योजना चूल्हे पर कार्य करने वाली महिलाओं के लिए राहत लेकर आई। योजना के तहत करोड़ों महिलाओं को फ्री गैस कनेक्शन बांटे गए, जिसके कारण उन्हें न केवल धुंए से आजादी मिली, बल्कि फेफड़े, सांस व दिल संबंधी विभिन्न बीमारियों से निजात भी मिली।