जलवायु परिवर्तन का असर कृषि क्षेत्र में दिखने लगा : डा. अत्री
जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती है जिनसे निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर सामूहिक प्रयास करने होंगे। आमजन को जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभावों बारे जागरूक करना होगा। यह बात मंगलवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा- क्लाइमेट चेंज एंड ससटेनेबल डेवलपमेंट टू स्ट्रेंथन रिसर्च एंड अंडरस्टैंडिग विषय पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में विशेषज्ञों के विचार-मंथन में उभर कर सामने आई।
जागरण संवाददाता, रोहतक : जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती है, जिनसे निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर सामूहिक प्रयास करने होंगे। आमजन को जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभावों बारे जागरूक करना होगा। यह बात मंगलवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा- क्लाइमेट चेंज एंड ससटेनेबल डेवलपमेंट टू स्ट्रेंथन रिसर्च एंड अंडरस्टैंडिग विषय पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में विशेषज्ञों के विचार-मंथन में उभर कर सामने आई।
पर्यावरण विज्ञान विभाग की अध्यक्षा प्रो. राजेश धनखड़ ने कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण दिया और कार्यक्रम की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। प्रो. राजेश धनखड़ ने कहा कि विश्व भर में जलवायु परिवर्तन एक चिता का विषय है। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन वैश्विक समाज के समक्ष मौजूद सबसे बड़ी चुनौती है एवं इससे निपटना वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बन गई है।
हरियाणा के डायरेक्टरेट आफ इनवायरमेंट एंड क्लाइमेंट चेंज के क्लाइमेंट चेंज सेल द्वारा प्रायोजित इस जागरूकता कार्यक्रम में भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के एडिशनल डायरेक्टर जनरल डा. एसडी अत्री ने बतौर की-नोट स्पीकर इस कार्यक्रम में शिरकत की। अत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर कृषि समेत अन्य क्षेत्रों में दिखने लगा है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन के कारण, इससे उत्पन्न चुनौतियां तथा समाधान बारे विस्तार से जानकारी दी।
डायरेक्टरेट आफ इनवायरमेंट एंड क्लाइमेट चेंज, हरियाणा के क्लाइमेंट चेंज सेल के डा. आजाद इस जागरूकता कार्यक्रम के मुख्यातिथि रहे। डा. आजाद ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण आज मौसम चक्र प्रभावित हुआ है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव दिखने लगे हैं। अगर हम सब जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों बारे जागरूक नहीं हुए तो आने वाले समय में परिणाम और भयावह होंगे। विशेषज्ञ वक्ता सौरभ भारद्वाज ने- क्लाइमेट चेंज मॉडलिग: ग्लोबल टू रीजनल प्रस्पेक्ट्वि्स एंड फॉर रीजनल पालिसी मेकिग विषय पर व्याख्यान दिया।
डीन, फैकल्टी आफ लाइफ साइंसेज प्रो. जेपी यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति रखनी होगी। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन कम करना होगा, जीवन शैली व कारोबार के तरीकों में बदलाव लाना होगा। इस व्याख्यान कार्यक्रम के बाद विभाग में संभाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें इनवायरमेंट साइंस की अंजली ने प्रथम व विश्वजीत ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। जेनेटिक्स विभाग का संजय तीसरे स्थान पर रहा। जेनेटिक्स विभाग की डा. नीलम व जूलोजी विभाग की डा. सुदेश ने इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल का दायित्त्व निर्वहन किया। इस अवसर पर डा. मीनाक्षी, डा. सुनील, डा. रचना भटेरिया, डा. गीता समेत शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।