नगालैंड के केतु को मेरठ लेकर पहुंची एसटीएफ, कई जगह दबिश
चोरी की लग्जरी गाड़ियों की फर्जी तरीके से आरसी के प्रकरण में नगालैंड के केतु की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर से मामला गरमा गया है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : चोरी की लग्जरी गाड़ियों की फर्जी तरीके से आरसी के प्रकरण में नगालैंड के केतु की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर से मामला गरमा गया है। जिससे पूछताछ के बाद धीरे-धीरे राज उजागर हो रहे हैं। आरोपित केतु नगालैंड में हरियाणा, दिल्ली और यूपी के मेरठ से चोरी की गई गाड़ियों की खरीद-फरोख्त कराता था। पूछताछ में पर्दाफाश हुआ है कि अधिकतर गाड़ियों के चेसिस और इंजन नंबर मेरठ में ही बदले गए थे। एसटीएफ (स्पेशल टॉस्क फोर्स) की टीम बुधवार को आरोपित को मेरठ लेकर पहुंची, जहां पर कई स्थानों पर दबिश दी गई। यह था मामला
पिछले साल जून माह में एसटीएफ की टीम ने सबसे पहले चरखी-दादरी निवासी प्रवीण को पकड़ा था, जिसके पास से चोरी की गाड़ी बरामद हुई थी। आरोपित से पूछताछ के बाद इस गिरोह की परतें खुलती चली गई, जिसके बाद गिरोह का सरगना महम निवासी अमित, सीसरखास गांव निवासी रमेश, महम एसडीएम कार्यालय के क्लर्क अनिल, कंप्यूटर ऑपरेटर सोमबीर, टाइपिस्ट रमेश बामल और धर्मवीर समेत कई अन्य को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के बाद मेरठ के रहने वाले शारीक, हाफीज, नफीज और नगालैंड के दीमापुर निवासी केतु का नाम भी सामने आए थे, जो तभी से फरार चल रहे हैं। नंबर बदले जाने के बाद मेरठ से नगालैंड भेज दी जाती थी गाड़ियां
कुछ दिन पहले गुरुग्राम सीआइए ने आरोपित केतु को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद एसटीएफ ने प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर आरोपित को पांच दिन के रिमांड पर ले रखा है। आरोपित से पूछताछ के बाद पता चला कि अधिकतर गाड़ियां मेरठ से लेकर जाता था। वहीं पर गाड़ियों के चेसिस और इंजन नंबर बदले जाते थे, जिसके बाद महम एसडीएम कार्यालय में उनकी फर्जी आरसी बनवाकर भिजवाई जाती थी। यह जानकारी सामने आने के बाद बुधवार को एसटीएफ की टीम आरोपित को लेकर मेरठ पहुंची। सूत्रों की मानें तो मेरठ के सोतीगंज इलाके समेत कई अन्य स्थानों पर दबिश दी गई। कई संदिग्ध लोगों से भी पूछताछ की गई। आरोपित केतु की गिरफ्तारी एसटीएफ के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि जिससे यह पता चलेगा कि नगालैंड में उसके अलावा और कौन-कौन इस गिरोह में शामिल है। क्योंकि नगालैंड में वह गिरोह के सरगना के तौर पर काम करता था। किस गाड़ी को कहां बेचना है और कितने में बेचनी है यह केतु ही तय करता था। इसलिए आरोपित से पूछताछ के बाद धीरे-धीरे गिरोह की पूरी परतें खुलती जा रही है।