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कहीं खराब ट्रैफिक लाइट तो कहीं टूटी सड़कें बन रही हादसों की वजह

बड़ी संख्या में होने वाले सड़क हादसे लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। कहीं खराब ट्रैफिक लाइट तो कहीं टूटी सड़कें सड़क हादसों का कारण बन रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 08:02 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 08:02 AM (IST)
कहीं खराब ट्रैफिक लाइट तो कहीं टूटी सड़कें बन रही हादसों की वजह
कहीं खराब ट्रैफिक लाइट तो कहीं टूटी सड़कें बन रही हादसों की वजह

जागरण संवाददाता, रोहतक : बड़ी संख्या में होने वाले सड़क हादसे लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। कहीं खराब ट्रैफिक लाइट तो कहीं टूटी सड़कें सड़क हादसों का कारण बन रही हैं। वहीं, बेसहारा पशुओं से होने वाले हादसों में भी हर साल लोगों की जानें जा रही हैं। जबकि यातायात नियमों का उल्लंघन भी सड़क पर मौत को बुलावा दे रहा होता है। रोड सेफ्टी के जानकारों के मुताबिक वाहन फिटनेस में खामी, ब्रेकर पर रिफ्लेक्टर न होना, सड़कों पर सफेद या पीली पट्टी न होना, नशा कर वाहन चलाना, ओवरस्पीड, ओवरलोडेड वाहन, सड़कों पर अधूरे निर्माण कार्य, सड़क पर गलत पार्किंग, सड़क पर खड़े खराब वाहन आदि हादसों की वजह बनते हैं। पुलिस प्रशासन का दावा है कि यातायात नियमों का पालन कराने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन ये प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। और हर साल अपराध से भी अधिक मौतें सड़क हादसों में हो रही हैं। आगामी दिनों के सर्दी के मौसम में या धुंध के कारण हादसों की संख्या में और इजाफा होने से रोका जा सकता है। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ताओं व सड़क सुरक्षा संगठन के सदस्यों का कहना है कि हादसों की वजह समाप्त कर इन दुर्घटनाओं की रोकथाम की जा सकती है। साथ ही जागरूकता अभियान भी लगातार चलाया जाना आवश्यक है। ताकि लोगों का जीवन बचाया जा सके। सड़क सुरक्षा संगठन के सदस्यों की मानें तो सड़क हादसों में मरने वालों में 50 फीसद से अधिक बाइक सवार होते हैं। जिनमें से ज्यादातर की उम्र 18 से 40 साल के बीच होती है। जिला में इस साल अब तक 150 से अधिक की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है। जिनमें से 100 से अधिक युवक हैं। ये ऐसे युवक हैं जो बाइक पर हादसों का शिकार हुए हैं। ज्यादातर हादसों में मौत का कारण सिर में गहरी चोट लगाना होता है।

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हाईवे पर हादसों में होती है 50 फीसद लोगों की मौत :

जानकारों की मानें तो शहर में होने वाले सड़क हादसों में मृतकों का आंकड़ा लगभग 10 फीसद ही रहता है जबकि हाईवे पर होने वाले हादसों में 50 फीसद से भी अधिक लोगों की जान चली जाती है। वर्ष 2019 में 470 हादसे हुए, जिनमें से 225 लोगों की जान गई जबकि 245 लोग घायल हुए। वहीं, 2020 में अब तक 360 हादसे हो चुके हैं। जिनमें 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है जबकि 210 लोग घायल हो चुके हैं। मृतकों में ज्यादातर युवा शामिल हैं। इन नियमों का करें पालन :

- दो पहिया वाहन चलाते समय हेलमेट पहनें।

- दो पहिया वाहन पर दो से अधिक व्यक्ति नहीं बैठें।

- कार या चार पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट पहनें।

- वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात नहीं करें।

- शराब के सेवन के बाद गाड़ी न चलाएं।

- निर्धारित गति सीमा के अंदर सड़क पर गाड़ी चलाएं।

- बिना ड्राइविग लाइसेंस के गाड़ी न चलाएं।

- गाड़ी का इंडीकेटर व बैक लाइट दुरुस्त रखें।

- सभी यातायात नियमों का पालन करें सड़क सुरक्षा नियमों को लेकर प्रशासनिक स्तर पर पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। बेसहारा पशुओं की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। न ही सड़कों पर सफेद या पीली पटटी लगाने का अभियान समय समय पर चलाया जाता है। स्पीड ब्रेकर भी हादसों का कारण बनते हैं। जिनसे बचाव के लिए तमाम कदम उठाने की जरूरत है।

- अशोक गुलिया, सामाजिक कार्यकर्ता, रोहतक । रोहतक में सड़क हादसों की कोई एक नहीं बल्कि अनेक वजह सामने आ रही हैं। सड़कों पर लगाई गई रेट लाइट अकसर बंद रहती है। वाहनों की ओवर स्पीड के साथ ही सभी दोपहिया वाहन चालकों का हेलमेट न पहनना। नशे की हालत में वाहन चलाना के अलावा जागरूकता का अभाव भी हादसों की बड़ी वजह बन रही हैं। हादसों की रोकथाम जरूरी है।

- डा. बिजेंद्र, सदस्य, रोड सेफ्टी आर्गेनाइजेशन । सड़क हादसों की रोकथाम के लिए समय समय पर अभियान चलाए जाते हैं। हेलमेट के प्रति जागरूक किया जाता है। नियमों का उल्लंघन करने वालों का चालान भी किया जाता है। सभी वाहन चालक अगर नियमों का पालना करेंगे तो यातायात व्यवस्था सुदृढ़ होगी और हादसों को रोका जा सकेगा। वहीं, कोहरे में हादसों की रोकथाम के लिए रिफ्लेक्टर लगाए जाएंगे।

- महेश कुमार, डीएसपी ट्रैफिक, रोहतक


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