नौ गुणा 18 फीट साइज की दुकानों का ही होगा निर्माण, छत सहित मालिकाना हक को लेकर खड़ा हुआ नया विवाद
पॉवर हाउस चौक पर अब नौ गुणा 18 फीट साइज की दुकानों का ही निर्माण होगा। दुकानदारों के संघर्ष का ही परिणाम माना जा रहा है कि मन मुताबिक साइज की दुकानों का निर्माण होगा।
अरुण शर्मा, रोहतक
पॉवर हाउस चौक पर अब नौ गुणा 18 फीट साइज की दुकानों का ही निर्माण होगा। दुकानदारों के संघर्ष का ही परिणाम माना जा रहा है कि मन मुताबिक साइज की दुकानों का निर्माण होगा। हालांकि अब यहां एक नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, दुकानदारों ने दावा किया है कि हमने छत सहित अपने घर और दुकानें अधिग्रहित करने की अनुमति दी थी। इसलिए दुकानदारों ने छत सहित ही दुकानें पॉवर हाउस पर मांगी हैं।
इसी प्रकरण को लेकर इसी सप्ताह बैठक होगी। इससे पहले नगर निगम के अधिकारियों से दुकानदार अपनी मांग को लेकर मुलाकात करेंगे। कोई परिणाम नहीं निकला तो आंदोलन का फैसला लिया जा सकता है। रेलवे एलिवेटेड ट्रैक के निर्माण के लिए नगर निगम ने गांधी कैंप में दुकानों और घरों व दूसरी जमीनों का अधिग्रहण किया था। जिन दुकानदारों की दुकानें अधिग्रहित की थीं उन्हें पहले नौ फीट बाई 12 फीट साइज की दुकानें देने का फैसला हुआ था। पिछले करीब एक साल से लगातार विरोध के बाद यहां नौ फीट बाई 18 फीट साइज की दुकानें ही निर्मित करना तय हुआ और अब निर्माण कार्य शुरू हो गया है। मार्च-अप्रैल तक दुकानों के निर्माण के आसार
फिलहाल पॉवर हाउस चौक पर 152 दुकानों का निर्माण कराया जा रहा है। यहां 57 दुकानें भूतल पर निर्मित होंगी, जबकि 95 दुकानें प्रथम मंजिल पर निर्मित करने की योजना है। 25 फीट का कॉरिडोर, शौचालय और पार्किंग स्थल भी यहां निर्मित कराए जाएंगे। बीते साल सितंबर माह में पॉवर हाउस पर दुकानों का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। दुकानों के निर्माण कार्य को लेकर पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर सीधे तौर से निगरानी कर रहे हैं। दुकानदारों की मांग पर दुकानों के साइज में बदलाव किया गया है। सब कुछ ठीक रहा तो अप्रैल तक दुकानों का निर्माण कार्य पूरा होगा। गांधी कैंप के दुकानदारों की मांग पर पॉवर हाउस पर नौ गुणा 18 फीट साइज की दुकानों का ही निर्माण होगा। जो भी मामले दुकानदारों ने रखे हैं उनका समाधान हर स्तर से कराने का प्रयास है।
राधेश्याम ढल, पार्षद, वार्ड-14 यह बात सही है कि मालिकाना हक जमीन से आसमान तक यानी दुकानों के ऊपर भी छत हमारी होनी चाहिए। यदि दुकानों के ऊपर छत नहीं मिलेंगी तो भविष्य में दुकानदारों के बीच भी आपस में विवाद होगा।
पवन सलूजा, स्थानीय दुकानदार, गांधी कैंप दुकानों की यह है मांग
केस एक : गांधी कैंप के दुकानदार हरिओम नागपाल का दावा है कि हमारी दुकानों के ऊपर दो मंजिला घर बना हुआ था। यहां दो परिवार यानी मैं और मेरे भाई रहते थे। करीब दो साल से दुकान भी किराए पर है। हम किराए के घर में रहने को मजबूर हैं। हमने जमीन से आसमान तक अपनी दुकानें थीं। हमें भी छत सहित मालिकाना हक चाहिए। केस दो : गांधी कैंप निवासी जयपाल धींगड़ा, सज्जन, श्याम खुराना, ममता आदि दुकानदारों का कहना है कि उनकी दुकानों के ऊपर घर बने हुए थे। यदि पॉवर हाउस पर दुकानों के ऊपर मालिकाना हक नहीं मिला तो कहां रहेंगे। दुकानदारों की मांग है कि हमें बसाने के लिए जरूरी है कि जमीन से छत तक मालिकाना हक मिले।