पेड़ पर बॉक्सिग बैग बांध शुरू की प्रैक्टिस, गीतिका अब बनीं वर्ल्ड चैंपियन
पोलैंड में वर्ल्ड यूथ बॉक्सिग चैंपियनशिप में भारत के लिए सोना जीतने वाली रोहतक के रिठाल की बेटी गीतिका नरवाल के पंच सोना-चांदी उगल रहे हैं। यह ऐसी बेटी है जिसने कभी गांव में ही जुगाड़ के संसाधनों से बॉक्सिग का अभ्यास शुरू किया था। शुरुआत में संसाधन भले ही जुगाड़ के थे लेकिन बॉक्सिग का जुनून ऐसा था ही बस जीत के लिए खेलना है। जिद थी कि इन्हीं संसाधनों के सहारे कड़ी मेहनत कर बॉक्सिग में लंबा सफर तय करना है। बॉक्सिग के प्रति उनके इसी जुनून को कोच सूरज प्रकाश का मार्गदर्शन मिला।
रतन चंदेल, रोहतक :
पोलैंड में वर्ल्ड यूथ बॉक्सिग चैंपियनशिप में भारत के लिए सोना जीतने वाली रोहतक के रिठाल की बेटी गीतिका नरवाल के पंच सोना-चांदी उगल रहे हैं। यह ऐसी बेटी है, जिसने कभी गांव में ही जुगाड़ के संसाधनों से बॉक्सिग का अभ्यास शुरू किया था। शुरुआत में संसाधन भले ही जुगाड़ के थे, लेकिन बॉक्सिग का जुनून ऐसा था ही बस जीत के लिए खेलना है। जिद थी कि इन्हीं संसाधनों के सहारे कड़ी मेहनत कर बॉक्सिग में लंबा सफर तय करना है। बॉक्सिग के प्रति उनके इसी जुनून को कोच सूरज प्रकाश का मार्गदर्शन मिला।
गीतिका ने जमकर प्रैक्टिस की और स्टेट व नेशनल में मेडल जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। अब वर्ल्ड यूथ बॉक्सिग चैंपियनशिप में 48 किलोग्राम वर्ग में सोना जीतकर गीतिका ने अपनी प्रतिभा की चमक दुनिया को दिखाई है। रिठाल गांव की गीतिका की जीत पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी ट्वीट करके बधाई दे चुके हैं और आधिकारिक ट्वीटर पर दैनिक जागरण की खबर को भी पोस्ट किया। गीतिका की जीत पर ग्रामीणों में खुशी का माहौल है।
गांव रिठाल गांव के सरकारी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली यह बेटी सही मार्गदर्शन के साथ कड़ी मेहनत और अपनी प्रतिभा के दम पर इस मुकाम पर पहुंची है। गीतिका की बड़ी बहन रीतिका ने बताया कि गांव में तालाब के पास मैदान था। जहां वे खेलने जाती थी। खुद 200 मीटर दौड़ में प्रदेश स्तर पर रजत पदक जीतने वाली रीतिका को खेलने जाते देखकर ही गीतिका ने भी उनके साथ मैदान पर जाना शुरू किया था। जहां पर कोच सूरज प्रकाश उर्फ भीम भी अपने बच्चों को कुश्ती व बॉक्सिग की प्रैक्टिस कराते थे। लेकिन कोच सूरज ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और अपने प्लाट में ही कीकर के पेड़ पर पंचिग बैग का जुगाड़ किया। गीतिका ने यहीं से बॉक्सिग का ककहरा सीखा और फिर कभी पीछे मुडकर नहीं देखा। हालांकि वह पंचिग बैग अब नहीं है। इसी प्लाट में अब भीम अकादमी है। जिसमें गांव के अनेक बच्चे कुश्ती व बॉक्सिग की प्रैक्टिस करते हैं। कोच सुनील कुमार भी यहां बच्चों की प्रैक्टिस कराते हैं। गीतिका ने जीते हैं अनेक मेडल :
कोच सूरज प्रकाश ने बताया कि पहले गीतिका अपनी बड़ी बहन रीतिका के साथ गांव के तालाब पर दौड़ लगाने जाती थी। लेकिन 2015 से यहां प्लाट में सीमित संसाधनों से बॉक्सिग की प्रैक्टिस शुरू की। जल्द ही उन्होंने सब जूनियर वुमैन हरियाणा स्टेट बॉक्सिग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। उसके बाद उन्होंने इन्हीं प्रतियोगिताओं में दो बार और भी गोल्ड मेडल जीते। अंडर-19 स्कूल खेलों में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता। वहीं, खेलो इंडिया मुकाबले में भी उन्होंने सिल्वर मेडल जीता। इसी साल उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर भी सिल्वर मेडल जीता है। गीतिका के पिता सुंदर सिंह किसान हैं जबकि उनकी मां सुमन गृहिणी हैं।