संकट मोचन मंदिर में मां कुष्मांडा की पूजा कर मांगी मनोकामना
माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री के सानिध्य में शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मंगलवार को मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना की गई।
जागरण संवाददाता, रोहतक : माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री के सानिध्य में शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मंगलवार को मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना व मां के दरबार में फूल-मालाओं व फल चढ़ाकर जगदंबे भवानी से मंगलकामनाएं मांगी। भक्तों को फल, मिश्री का प्रसाद वितरित किया। श्रद्धालुओं ने माता के जयघोषों से वातावरण को भक्तिमय किया।
कार्यक्रम में साध्वी मानेश्वरी देवी ने प्रवचन देते हुए कहा कुष्मांडा के रूप में अवतरित माता भगवती संपूर्ण जगत की उत्पत्ति की कारक है। इसीलिए इन्हें कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है। मां कुष्मांडा की पूजा से भक्तों को हर समस्या से मुक्ति मिलती है। मां कुष्मांडा की पूजा अराधना करने से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा मां तक पहुंचने का साधन है श्रद्धा। श्रद्धा वह है जो लाभ-हानि, जय-पराजय, सफलता-असफलता में अविचल-अटूट-अडिग बना रहे। उन्होंने कहा यदि हम तन-मन-धन से प्रभु का स्मरण करते हैं तो भगवान स्वयं हमारे किसी न किसी रूप में संकट दूर करते हैं। अटल विश्वास, अटूट श्रद्धा की शक्ति असीम है। यदि मन आपका पवित्र नहीं है तो चाहे ढेरों मंत्रों का जाप करें, कितने ही स्त्रोतों का पाठ करें। मां की कृपा का दर्शन नहीं होगा। मां परखती है आपका ईमान, आपका चरित्र, आपकी वृत्ति, आपका स्वभाव, आपकी श्रद्धा। इन सब में पारदर्शिता लाकर अपने जीवन को सफल बनाया जा सकता है।