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प्रशासन की अनदेखी गरीब बीपीएल प्लाट धारकों पर पड़ रही भारी

सुनारिया कलां गांव में इतना लंबा समय बीत जाने पर भी महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के तहत 150 बीपीएल(गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले) कार्ड धारकों को उनके कब्जे नहीं मिल सके। नगर निगम से लेकर तहसील प्रशासन ने गरीब जनता के हितों के लिए कितने ही दावे खरे नहीं उतरे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 06:31 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 06:31 AM (IST)
प्रशासन की अनदेखी गरीब बीपीएल प्लाट धारकों पर पड़ रही भारी
प्रशासन की अनदेखी गरीब बीपीएल प्लाट धारकों पर पड़ रही भारी

जागरण संवाददाता, रोहतक: सुनारिया कलां गांव में इतना लंबा समय बीत जाने पर भी महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के तहत 150 बीपीएल(गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले) कार्ड धारकों को उनके कब्जे नहीं मिल सके। नगर निगम से लेकर तहसील प्रशासन ने गरीब जनता के हितों के लिए कितने ही दावे खरे नहीं उतरे।

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सुनारिया कलां के गरीब बीपीएल कार्ड धारकों की बात करे तो यह दावे खोखले नजर आ रहे हैं। एक मार्च 2014 को नगर निगम रोहतक ने पंचायत एवं विकास विभाग के निर्देश पर गरीब बीपीएल प्लाट धारकों को ये कहते हुए आवंटित किए गए थे कि वह साल के अंदर मिले प्लाट पर अपना आशियाना बना ले लेकिन यहां आशियाना नहीं बना पा रहे। स्थानीय निवासी सुदेश और संतोष व दूसरे पीड़ितों का का कहना है कि नगर निगम के अधिकारियों से लेकर पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर से उनके कार्यकाल के दौरान कई बार गुहार लगाने के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। 2014 में मिले थे प्लाट

दस्तावेजों के मुताबिक, महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना में सर्व के आधार पर गरीब परिवारों को 2014 में प्लाट मिले थे। शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने अप्रैल 2012 में आदेश जारी किए थे कि अगस्त 2012 मे पंचायती राज विभाग द्वारा प्लाट आवंटन के लिए सर्वे किया गया था। नगर निगम ने गरीबों को प्लाट देने के लिए मार्च 2014 में कार्रवाई की, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। गरीबों को आशियाना बनाने की आस एक सपना ही बनकर रही गई। पांच साल में निर्माण कराने का हैं नियम

योजना में लाभार्थियों को मिले हुए प्लाट की खाली जगह पर पांच साल के अंदर निर्माण कराना था। लेकिन पीड़ितों का कहना हैं की जब विभाग ने ही उन्हें उनकी जगह चिह्नित करके नही दी हैं तो वह कहां पर निर्माण करें। यदि वह किसी जगह पर निर्माण करें तो उन्हें डर हैं कहीं दूसरों के प्लाट पर गलती से निर्माण न कर लिया जाए। प्लाट धारकों के मन में भय का माहौल भी बना हुआ है कि कहीं प्रशासन जानबूझकर उनकी समस्या का समाधान नहीं कर रहा है। इतना लंबा समय बीत जाने के बावजूद कहीं प्रशासन कानूनों का हवाला देते हुए उन्हें मिले हुए प्लाट को कानूनी प्रक्रिया में उलझाकर उनके आशियाना बनाने के सपने को भी कहीं तोड़ न दे। ट्वीट किया तो दौड़े आए थे अधिकारी

स्थानीय लोगों का कहना है कि लाभार्थियों ने किसी की मदद से ट्वीटर पर ट्वीट किया। इसके बाद नगर निगम के अधिकारी दौड़े चले आए। लॉकडाउन से पहले बीते साल उम्मीद जगी थी कि प्लाट पर कब्जे मिलेंगे। हालांकि बाद में लॉकडाउन के बहाने अधिकारियों ने मामला दबा दिया। फिर लोग चक्कर काट रहे। अब मंत्री विज से उम्मीद, जाएंगे परिवेदना समिति

स्थानीय लोगों को शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज से उम्मीदें हैं। लोगों का कहना है कि पूरे मामले में जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार से गुहार लगाएंगे। उनसे यह भी मांग करेंगे कि 17 मार्च को होने वाली जिला परिवेदना समिति की बैठक में मामला रखा जाए। जिससे उन्हें न्याय मिल सके।


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