पीजीआइ का वार्षिक बजट चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट, सीबीआई जांच की मांग
मिशन एकता समिति की प्रदेश अध्यक्ष कांता आलड़िया ने पीजीआइ के वार्षिक बजट में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सीबीआइ जांच की मांग की है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : मिशन एकता समिति की प्रदेश अध्यक्ष कांता आलड़िया ने पीजीआइ के वार्षिक बजट में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सीबीआइ जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देने की बजाए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है। स्वास्थ्य सेवाएं पाने के लिए पीजीआइ में लोग दर दर की ठोंकरें खाने पर मजबूर हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
कांता आलडिया ने आरोप लगाए हैं कि कहा कि पीजीआइ प्रशासन भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। शनिवार को जारी बयान में समिति की प्रदेश अध्यक्ष कांता आलड़िया ने कहा कि पूरे प्रदेश से इलाज के लिए लोग पीजीआइ में उपचार के लिए आते है, लेकिन पीजीआइ के अधिकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देने के बजाय सरकार का पैसा हजम करने में लगे है। साथ ही डाक्टर भी मरीजों के साथ सौतेला व्यवहार करते है। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भी पीजीआइ संस्थान में सुरक्षित नहीं है तो आम मरीजों की क्या हालत होगी। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमित होने के चलते स्वास्थ्य मंत्री विज को चार दिन तक पीजीआइ में भर्ती रखा, लेकिन चिकित्सा सुविधाएं ठीक नहीं होने के चलते स्वास्थ्य मंत्री को मेदांता अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है जब स्वास्थ्य मंत्री को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई तो अन्य लोगों को कैसी सुविधा पीजीआइ में मिल रही होगी। उन्होंने कहा कि पीजीआइ के डाक्टरों की लापरवाही के चलते मरीजों की मौत हो रही है, लेकिन पीजीआइ प्रबंधन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए पीडित परिजनों को दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पीजीआइ कैंपस में भवन निर्माण व अन्य सामान खरीदने में भारी भ्रष्टाचार किया गया है।
आलड़िया ने चेताया कि अगर सरकार ने पीजीआइ के वार्षिक बजट की जांच सीबीआइ से नहीं हुई और दोषियों के खिलाफ कारवाई नहीं हुई तो समिति पीजीआइ कुलपति कार्यालय का घेराव कर आंदोलन शुरू कर देगी।