दवा के नहीं थे पैसे, नवजात को PGI में छोड़ गए मां-बाप, फिर पुलिस को फोन कर बताई मजबूरी
गरीब माता-पिता के पास नवजात की दवा के लिए पैसे नहीं थे। इस पर वे अपने बच्चे को राेहतक पीजीआइ में छोड़कर चले गए। बाद में पिता ने फोन कर पुलिस को अपनी मजबूरी बताई।
रोहतक, [विनीत तोमर]। संतान के लिए मां-बाप न जानें कितनी मिन्नतें करते हैं, लेकिन उसके जन्म के बाद उससे अलग होने की पीड़ा कैसी होती है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। ऐसी ही पीड़ा से एक गरीब दंपती को गुजरना पड़ा है। माता-पिता कि पास बच्चे की दवा के लिए पैसे नहीं होने थे। इस कारण वे उसे को रोहतक पीजीआइ में छोड़कर चले गए। फिर उसने पुलिस को फोन पर अपनी पीड़ा और विवशता बयां की। उसने कहा, रुपयों का बंदोबस्त होते ही वह अपने बच्चे को ले जाएगा।
21 दिसंबर को पीजीआइ में हुआ था नवजात का जन्म
दरअसल, 21 दिसंबर को पीजीआइ के लेबर रूम में एक महिला ने लड़के को जन्म दिया। दंपती ने अपना पता फरीदाबाद का लिखवाया और बताया कि वह दोनों मजदूरी करते हैं। अगले ही दिन दंपती बिना किसी को कुछ बताए नवजात को छोड़कर चले गए। लेबर रूम के स्टाफ ने अधिकारियों को मामले की जानकारी दी, जिसके बाद पीजीआइ थाना पुलिस ने जांच शुरू की। जांच में पीजीआइ में दिया गया फरीदाबाद का पता गलत निकला।
पुलिस के फोन करने पर बोला पिता, रुपये होते ही ले जाऊंगा बच्चा
इसके बाद पुलिस ने फोन नंबर पर संपर्क किया। फोन उठाने वाले ने बताया कि वह बहुत गरीब है और मदीना के पास एक फैक्टरी में काम करता है। उनके पास दवा के लिए रुपये नहीं थे। उन्होंने डाक्टरों से छुट्टी मांगी थी, लेकिन नहीं दी गई। उनके पास खाने के भी रुपये नहीं थे और बच्चा अंदर नर्सरी में था। इसी वजह से उन्हें अपना बच्चा छोड़कर आना पड़ा।
उसने कहा कि रुपयों का बंदोबस्त करने में लगा हुआ हूं। इसका इंतजाम होते ही अपने बच्चे को ले जाऊंगा। पुलिस का संपर्क हुए करीब पांच-छह दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक बच्चे के मां-बाप पीजीआइ में नहीं पहुंचे। वहीं बच्चे का उपचार पीजीआइ की नर्सरी में चल रहा है।
बाल कल्याण समिति ने किया नोटिस जारी : चेयरमैन
बाल कल्याण समिति के चेयरमैन डा. राज सिंह सांगवान का कहना है कि नवजात इतने दिन से पीजीआइ में हैं, लेकिन न तो पीजीआइ प्रशासन और न ही पुलिस ने कोई जानकारी दी। इस लापरवाही के लिए पीजीआइ प्रशासन और पीजीआइ थाना पुलिस को नोटिस जारी किया गया है।