अब पंडित श्रीराम रंगशाला को खाली कराने के लिए जागृति मंच का एलान
पंडित श्रीराम शर्मा रंगशाला पर जनवरी 2020 में खोले गए थे कार्यालय आधे कब्जे दबाव में खाली किए थे फिर से गुपचुप तरीके से खोले दफ्तर
जागरण संवाददाता, रोहतक:
सोनीपत रोड स्थित पंडित श्रीराम शर्मा रंगशाला पर कब्जों का मामला भी नगर निगम के लिए गले की फांस बन गया है। पहरावर में गौड़ संस्था की जमीन को लेकर उठे विवाद के बाद अब हरियाणा जागृति मंच ने एलान किया है कि जून के पहले सप्ताह तक इंतजार करेंगे। यदि नगर निगम ने रंगशाला से एक-एक दफ्तर और कब्जे खाली नहीं कराए तो हम स्वयं वहां धरना देंगे। इसके साथ ही खुद ही रंगशाला से सभी कब्जे खाली कराएंगे। यह भी कहा कि यहां स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित श्रीराम शर्मा की आखिरी यादों को संजोया जाए और दूसरे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और कलाकारों के लिए यह रंगशाली तुरंत कब्जा मुक्त हो।
हरियाणा जागृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष पंडित रमेश हरियाणा ने ही सबसे पहले पहरावर स्थित गौड़ संस्था की जमीन का मुद्दा उठाया था। इन्होंने रंगशाला को भी खाली कराने के लिए भी अभियान छेड़ रखा है। नगर निगम की रंगशाला में अधिकारियों ने जनवरी 2020 में कार्यालय खोल दिए थे। विरोध शुरू हुआ तो कुछ कार्यालय बाल भवन के निकट नगर निगम के अधिकारियों ने शिफ्ट करा दिए। पूरी तरह से कब्जे खाली कराने के बजाय धीरे-धीरे फिर से कब्जे करके इंजीनियरिग ब्रांच, एक निजी अस्पताल की ओपीडी लेकर प्रापर्टी टैक्स सर्वे से जुड़ी एजेंसी तक ने यहां कब्जे कर लिए। पंडित रमेश ने चेतावनी दी है कि जून के पहले सप्ताह के बाद निगम के अधिकारियों को पत्र लिखेंगे। फिर भी अधिकारी नहीं जागेंगे तो आखिरी विकल्प खुद कब्जा खाली कराने का होगा। रंगकर्मी भी 15 दिन की दे चुके हैं चेतावनी:
रंगशाला को पूरी तरह से कब्जा मुक्त कराने और रंगकर्मियों को यहां नाट्स मंचन की मांग उठने लगी है। वीरवार को रंगकर्मियों ने निगम के संयुक्त आयुक्त महेश कुमार से मुलाकात की थी। रंगकर्मी विश्वदीपक त्रिखा, डा. आनंद शर्मा आदि ने मांग की थी कि साल 2014 तक प्रति शनिवार यहां नाट्य मंचन होते थे। रंगकर्मी यहां नाटक मंचन मुफ्त में करते थे, लेकिन अ 11 हजार शुल्क है। 18 प्रतिशत वस्तु एवं सेवाकर यानी जीएसटी, बिजली, जनरेटर, सफाई आदि पर करीब 50 हजार रुपये तक प्रति मंचन खर्चा आता है। रंगकर्मी कहते हैं कि नाटक मंचन आमदनी का कोई जरिया नहीं है, बल्कि अपनी जेब से खर्चा करते हैं। इसलिए रंगशाला पूर्णरूप से रंगकर्मियों को जल्द से जल्द मिले और कब्जे खाली होने चाहिए।