बड़े साहब ने ही नहीं दिया विदेश यात्रा का ब्योरा, अधीनस्थों से कैसे मांगें
जागरण संवाददाता रोहतक पीजीआइ के अधिकारी अपने अधीनस्थों से कैसे विदेश यात्रा का ब्योरा
जागरण संवाददाता, रोहतक : पीजीआइ के अधिकारी अपने अधीनस्थों से कैसे विदेश यात्रा का ब्योरा मांग सकते हैं जबकि अभी तक उन्होंने खुद ही ब्योरा उपलब्ध नहीं कराया है। जिसके चलते वह अधीनस्थ को आदेश जारी करने से भी किनारा करते नजर आते हैं। हालांकि मजबूरी में खानापूर्ति करने के लिए उन्हें आदेश जारी करने पड़ते हैं। जबकि एक बड़े घोटाले में शामिल रहे चिकित्सक ने बताया है कि वह छह वर्षों में दस बार विदेश का दौरा कर चुके हैं। हालांकि इन यात्राओं पर खर्च की गई धनराशि का हिसाब उन्होंने नहीं दिया है। पीजीआइ चिकित्सकों को विदेश यात्रा का ब्योरा विभाग में देना पड़ता है। कई बार चिकित्सकों को सरकारी खर्च पर अध्ययन के लिए विदेश भेजा जाता है, जबकि कई बार वह अपने निजी कार्यों से विदेश जाते हैं। दोनों ही स्थिति में उन्हें सरकार को ब्योरा देना पड़ता है और यात्रा पर खर्च की गई धनराशि के साक्ष्य भी सरकार को देने पड़ते हैं। गत वर्ष सरकार ने पीजीआइ अधिकारियों को आदेश दिए थे कि वह पिछले छह वर्षों की अपनी विदेश यात्रा का ब्योरा उपलब्ध कराएं। जिसके बाद दस से अधिक चिकित्सकों ने तो अपना ब्योरा दे दिया, लेकिन अन्य चिकित्सकों ने अभी तक ब्योरा नहीं दिया है। बताया जा रहा है कि अधीनस्थ अपने उच्चाधिकारियों से ब्योरा ऐसी स्थिति में मांग सकते हैं जब वह खुद साफ हों, लेकिन ऐसा न होने के चलते वह खुद भी ब्योरा मांगने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। बताया जा रहा है कि एक बड़े घोटाले में शामिल एक चिकित्सक ने अपनी विदेश यात्रा का ब्योरा तो दिया, लेकिन खर्च का ब्योरा अभी तक नहीं दे पाए हैं। घोटाले में शामिल चिकित्सक ने बताया कि वह छह वर्षों में दस बार विदेश की यात्रा कर चुके हैं, जिसमें से पांच बार वह निजी खर्चे पर, दो बार यूजीसी के खर्चे पर, एक बार सरकारी खर्चे पर, और दो बार की यात्रा किस खर्चे पर की इसकी पुष्टि नहीं की है।