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ना उपकरण, ना ट्रेनिग, बेइंतजामी की भेंट चढ़ रहे कर्मचारी

जागरण संवाददाता रोहतक ना उपकरण ना कोई विशेष ट्रेनिग और हर तरफ बेइंतजामी की मार

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 08:33 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2019 06:36 AM (IST)
ना उपकरण, ना ट्रेनिग, बेइंतजामी की भेंट चढ़ रहे कर्मचारी
ना उपकरण, ना ट्रेनिग, बेइंतजामी की भेंट चढ़ रहे कर्मचारी

जागरण संवाददाता, रोहतक : ना उपकरण, ना कोई विशेष ट्रेनिग और हर तरफ बेइंतजामी की मार। लापरवाही भी इतनी कि आपात स्थिति से निपटने के लिए प्लांट में कोई मेडिकल किट भी नहीं। यही कारण है कि इन प्लांटों में हर साल एक-दो कर्मचारी मौत के मुंह में समां रहा है। हादसे होने के चंद दिनों तक तो विभागीय अधिकारी भी लंबे-चौड़े दावे हांकते हैं, लेकिन इसके बाद निष्कर्ष वही ढाक के तीन पात वाला होता। पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो डिस्पोजल और रिफाइनरी प्लांट में हर साल एक या दो कर्मचारी इसका शिकार हो रहा है।

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दरअसल, बुधवार को जन स्वास्थ्य विभाग में डिस्पोजल में चार कर्मचारियों की मौत के बाद एक बार फिर से विभागीय अधिकारियों पर सवाल खड़े हो गए हैं। अधिकारियों ने बिना किसी इंतजाम के कर्मचारियों को चैंबर में मोटर की पंप खोलने के लिए तो उतार दिया, लेकिन सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए। आंकड़ों को देखें तो जून 2016 में रोहतक-पानीपत हाईवे पर स्थित जन स्वास्थ्य विभाग के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में एक कर्मचारी की मौत हो गई थी। सुबह करीब छह बजे सैमाण पुट्ठी गांव निवासी जितेंद्र और पाड़ा मुहल्ला निवासी अशोक नाले में उतरे थे। दोनों के पास सुरक्षा यंत्रों के नाम पर कुछ नहीं था। जितेंद्र को बेल्ट दी गई थी, लेकिन अशोक के पास कुछ नहीं था। वहां पर बेहोशी का आभास होने पर जितेंद्र को ऊपर निकाल लिया गया था, लेकिन अशोक वहीं पर फंस गया। दोपहर करीब साढ़े 12 बजे उसे निकाला गया, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। उस वक्त भी लापरवाही के आरोप लगे थे। आरोप थे कि अशोक को सेफ्टी बेल्ट भी नहीं दी गई थी। इसके अलावा करीब डेढ़ साल पहले सिंहपुरा में सीवरेज लाइन में भी एक कर्मचारी की मौत हो गई थी। हसनगढ़ रिफाइनरी के टैंक में भी शिकार हुए थे दो कर्मचारी

नवंबर 2018 में हसनगढ़ गांव में स्थित शिवा पेट्रोलियम फैक्ट्री में दो कर्मचारियों की मौत हो गई थी। इसमें काले तेल को रिफाइन की मोबीऑयल बनाया जाता था। फैक्टरी में करीब 13 मजदूर काम करते हैं। बिहार के छपरा जिले के तेतिया गांव का रहने वाला 19 वर्षीय रोहित खाली पड़े तेल के टैंक की सफाई करने के लिए उतरा था। काफी देर तक भी वह टैंक से बाहर नहीं आया। इसके बाद छपरा जिले का ही गोदरी बाजार गांव निवासी रणजीत भी टैंक में उतर गया। इसके बाद वह भी बाहर नहीं आया। अनहोनी की आशंका के चलते बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का रहने वाला जोगेंद्र भी टैंक में उतर गया था। टैंक के अंदर जाने पर पता चला कि रोहित और रणजीत बेहोशी की हालत में पड़े थे। इस पर जोगेंद्र ने शोर मचा दिया। दूसरे कर्मचारियों ने उसे आनन-फानन में बाहर निकाला था, लेकिन तब तक वह भी बेहोश हो गया। डाक्टरों ने रोहित और रणजीत को मृत घोषित कर दिया था। जबकि जोगेंद्र की गंभीर हालत हो गई थी। यह होने चाहिए सुरक्षा के उपकरण

नियमानुसार, यदि कोई टैंक या चैंबर के अंदर जाता है तो उसे पहले ट्रेनिग दी जाती है। बताया जाता है कि विकट परिस्थितियों में कैसे बचा जा सकता है। इसके अलावा सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट और मेडिकल किट आदि भी होने चाहिए।


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