हैदराबाद की दो कंपनियों से खरीदे गए थे ज्यादातर गिफ्ट कार्ड
वस्तु एवं सेवाकर(जीएसटी) के 1500 करोड़ रुपये के गिफ्ट कार्ड फर्जीवाड़े में नया खुलासा हुआ है।
अरुण शर्मा, रोहतक
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के 1500 करोड़ रुपये के गिफ्ट कार्ड फर्जीवाड़े में नया खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि हिसार की फर्मों ने ज्यादातर कार्ड हैदराबाद (तेलंगाना) की दो कंपनियों से खरीदे थे। जांच के दायरे में बैंकों के साथ ही तेलंगाना की दोनों कंपनियां आ चुकी हैं। जांच अधिकारियों ने दोनों कंपनियों के अधिकारियों को छह जुलाई को बुलाया था, मगर वह पहुंचे नहीं। इसलिए कंपनियों के अधिकारियों को अगले सप्ताह तक जांच में शामिल होने के लिए ई-मेल से समन जारी किए गए हैं।
जीएसटी रोहतक आयुक्तालय के आयुक्त विजय मोहन जैन के मुताबिक, फर्मों का ब्योरा निकाला गया है। प्राथमिक जांच का हवाला देते हुए बताया कि हैदराबाद की कंपनियां जब तक जांच में सहयोग नहीं करेंगी तब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होगी। जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि बैंकों में मिलने वाले गिफ्ट कार्ड इतने बड़े पैमाने पर कंपनियों तक कैसे पहुंचे। इतने बड़े पैमाने पर हिसार की फर्मों ने गिफ्ट कार्ड कैसे खरीदे। कंपनियों की तरफ से जांच में सहयोग मिलने की स्थिति में गिफ्ट कार्ड मिलने के स्त्रोत के स्त्रोत भी पता चलेंगे। इससे पहले संबंधित कंपनियों को ई-मेल से समन भेजे गए थे। उस दौरान कंपनियों की तरफ से कोरोना संक्रमण के चलते आवागमन में होने वाली परेशानियों का हवाला दिया था। दूसरी ओर, जांच से जुड़े अधिकारी मान रहे हैं कि फर्मों की संख्या में इससे अधिक हो सकती हैं, फर्जीवाड़े की रकम भी कई गुना होने के आसार हैं।
रिफंड से हुआ था खुलासा
दो रिफंड के मामलों में आवेदन हुआ था। शक होने पर तमाम बैंक खातों की जांच के बाद खुलासा हुआ। हिसार की पांच-छह फर्मों ने 1500 करोड़ के गिफ्ट कार्ड आठ-दस माह में खरीदे। रिफंड के लिए आवेदन तक किया। लॉकडाउन में करीब 250 करोड़ रुपये तक के लेनदेन का मामला भी पकड़ में आया। बैंक खाते खोलने से लेकर दूसरे कार्यों के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया था। गिफ्ट कार्ड बिक्री से जुड़ी बैंक भी संदेह के दायरे में हैं।
वर्जन
प्राथमिक जांच में सामने आया है कि ज्यादातर गिफ्ट कार्ड हैदराबाद की दो कंपनियों से खरीदे गए थे। हमने संबंधित राज्यों के विभागीय अधिकारियों से मदद मांगी है। अगले सप्ताह तक फिर से कंपनियों को जांच में शामिल होने का समय दिया गया है। जांच में सहयोग नहीं मिलने पर अगली कार्रवाई शुरू करेंगे।
विजय मोहन जैन, आयुक्त, सेंट्रल जीएसटी, रोहतक आयुक्तालय