टमाटर वाले गांव के नाम से प्रसिद्ध है महम का गंगानगर
कस्बे से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर बसा गांव गंगानगर का जन्म 1958 में हुआ था। गांव के रिटायर्ड अध्यापक श्रीराम अहलावत ने बताया की महम से लगभग आठ किलोमीटर दूर खरकड़ा गांव से सबसे पहले मेघा राम जुगलाल शोभा चंद व गणेशी लाल ने गंगानगर गांव को बसाया था। अब इसकी आबादी लगभग पांच सौ है और इस गांव में लगभग दो सौ तीस वोट हैं।
संवाद सहयोगी, महम : कस्बे से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर बसा गांव गंगानगर का जन्म 1958 में हुआ था। गांव के रिटायर्ड अध्यापक श्रीराम अहलावत ने बताया की महम से लगभग आठ किलोमीटर दूर खरकड़ा गांव से सबसे पहले मेघा राम, जुगलाल, शोभा चंद व गणेशी लाल ने गंगानगर गांव को बसाया था। अब इसकी आबादी लगभग पांच सौ है और इस गांव में लगभग दो सौ तीस वोट हैं। हालांकि अभी तक इस गांव की अपनी पंचायत नहीं है और यह गांव किशनगढ़ पंचायत में आता है। इस गांव के लोगों का आपसी भाईचारा बहुत ही अच्छा है। गांव की सफाई आदर्श गांवों से भी अच्छी है। गांव में विशेष बात यह है कि हरिपाल व उनका बेटा कपिल दोनों ही कर्नल पद से रिटायर्ड होकर समाज सेवा कर रहे हैं। गांव का लाडला अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अमित पुत्र दिलबाग किक बाक्सिग में सात देशों की प्रतियोगिता में बांग्लादेश से गोल्ड मेडल जीत चुका है।
कोई व्यक्ति नहीं बना है सरपंच
इस गांव का कोई भी व्यक्ति सरपंच नहीं बना है। रामफल अहलावत ब्लाक समिति मेंबर रह चुके हैं। गांव में एक आकर्षक शिव मंदिर, पानी का बूस्टर, सुंदर चौपाल व सामुदायिक केंद्र बनाया गया है। गांव की सभी गलियां पक्की एवं चौड़ी हैं। गांव में पशुओं के लिए तालाब है जिसमें रजवाहे से निकलने वाली नाली से इसे भरा जाता है ताकि पशुओं को पीने के लिए स्वच्छ एवं साफ पानी मिल सके।
किसान करते थे टमाटर की खेती
ग्रामीणों के मुताबिक लगभग एक आठ साल पहले गंगानगर को टमाटर वाले गांव के नाम से पुकारा जाता था। हर किसान टमाटर की खेती करता था। किसान बारू राम ने बताया की गांव में 2005 से 2013 तक लगभग 300 एकड़ जमीन में टमाटर की खेती की जाती थी। लगभग सवा दो लाख रुपये प्रति एकड़ की कमाई की जाती थी। यहां का टमाटर पूरे प्रदेश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक गया है। उन्होंने बताया कि टमाटर की सप्लाई प्रदेश व अन्य राज्यों के अलावा पाकिस्तान तक जाते थे। उन्होंने बताया कि 10 से 15 ट्रक एक साथ भर के पाकिस्तान भेजे जाते थे। वर्ष 2014 में खरपतवार को जलाने के लिए व और ज्यादा उपज बढ़ाने के लिए रसायनिक खाद का अधिक प्रयोग किया गया। जिससे जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हो गई।
किसान हो चुके हैं सम्मानित
2014 में लगाई गई टमाटर की खेती लगभग नष्ट हो गई तो किसानों ने खराब हुई टमाटर की फसल को उखाड़ दिया। उसके बाद से यहां पर टमाटर की खेती केवल नाम मात्र ही करते हैं। उन्होंने बताया कि इस गांव के लगभग सभी किसानों को टमाटरों की अधिक पैदावार के कारण कृषि विभाग की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है। उन्होंने सभी किसानों से अपील भी की है कि खरपतवार को नष्ट करने वाली जहरीली दवाओं का कम से कम इस्तेमाल करें। ताकि धरती की उपजाऊ शक्ति को बचाया जा सके।