शहर में नहीं चलेंगी लो फ्लोर बसें, निगम ने नहीं दिया बजट
जागरण संवाददाता, रोहतक : शहर में दौड़ रहे अवैध ऑटो पर लगाम कसने और लो फ्लोर बसें च
जागरण संवाददाता, रोहतक : शहर में दौड़ रहे अवैध ऑटो पर लगाम कसने और लो फ्लोर बसें चलवाने का ड्रीम प्रोजेक्ट अधर में फंस गया। सीएम सिटी करनाल की तर्ज पर रोहतक में भी ऑटो बंद कर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल) की प्रदूषण रहित लो फ्लोर बसें चलाए जाने का खाका तैयार किया गया था। मगर नगर निगम की तरफ से बजट न दिए जाने से यह प्रोजेक्ट अधर में फंसकर रह गया।
पिछले दिनों एनसीआर में पुराने ऑटो बंद होने के बाद रोहतक समेत आसपास के शहरों में भी ऑटो की संख्या बढ़ गई है। आरटीए के पास करीब 8746 ऑटो रजिस्टर्ड हैं, जबकि शहर में करीब 11 हजार से अधिक ऑटो दौड़ रहे हैं। ऑटो के कारण न केवल जाम की समस्या बन रही है, बल्कि प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। इससे निपटने को तत्कालीन एसपी पंकज नैन ने प्रशासन और आरटीए के साथ मिलकर प्रोजेक्ट तैयार किया था। इसके तहत अवैध ऑटो बंद किए जाने थे, जिसमें करीब चार हजार ऑटो शहर में कम हो जाते। ऑटो बंद होने के बाद शहर में एनजीटी की लो फ्लोर बसों का संचालन होना था। करनाल की तर्ज पर यह प्रोजेक्ट शुरू होना था। बसों के रूट को इस तरीके से बनाया गया था, जिससे हर 15 मिनट के अंतराल पर यात्रियों को बस सेवा मिल सके। इसके लिए कुछ स्थान चिन्हित किए गए थे। मेडिकल मोड़, नया बस स्टैंड, पुराना बस स्टैंड, सोनीपत बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर बस के स्टैंड बनाए जाने थे। कई स्थानों पर बस स्टॉप भी बनने थे। निगम ने दे दिया बजट न होने का तर्क
पुलिस-प्रशासन ने पांच लो फ्लोर बसों की खरीद के लिए नगर निगम को बजट देने को कहा था। मगर निगम के अधिकारियों ने बजट होने से ही मना कर दिया। तर्क दिया कि निगम के पास इतना बजट नहीं है कि जिससे पांच लो फ्लोर बसें खरीदी जा सके। निगम के बजट देने से मना करने पर यह प्रोजेक्ट भी अधर में फंस गया। इसके साथ ही वर्तमान एसपी ने भी इस प्रोजेक्ट पर कोई रूचि नहीं दिखाई। जिले में यह हैं ट्रैफिक पुलिस
जिले में ट्रैफिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक डीएसपी है। जबकि अर्बन एरिया में एक सब इंस्पेक्टर, 11 एएसआइ और 54 हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल है। इसके अलावा रूरल एरिया में एक इंस्पेक्टर, तीन एएसआइ और 21 हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल है।