छोटी उम्र में बड़े सपने देख आसमान छूने की चाहत
रतन चंदेल रोहतक सीबीएसई की दसवीं कक्षा की परीक्षा में बंपर अंक हासिल करने वाले रोहतक
रतन चंदेल, रोहतक
सीबीएसई की दसवीं कक्षा की परीक्षा में बंपर अंक हासिल करने वाले रोहतक के विद्यार्थी छोटी उम्र में बड़े सपने देख आसमान छूने की चाहत रखते हैं। कोई डाक्टर, कोई इंजीनियर तो कोई प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहता है। सर्वाधिक 99.2 फीसद अंक हासिल करने वाली स्कॉलर्स रोजरी स्कूल की टॉपर पांच छात्राओं आकांक्षा, हर्षिता, कशिश, अवनी व मुस्कान ने दैनिक जागरण से अपने विचार साझा किए। उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। जिसको लेकर वे अभी से तैयारी कर रही हैं। परीक्षा परिणाम भी इसी तैयारी का हिस्सा है। उधर, विद्यार्थियों की इस तैयारी में अभिभावक भी पूरा सहयोग कर रहे हैं। मेरा लक्ष्य प्रशासनिक अधिकारी बनना है। इसको लेकर अभी से तैयारी कर रही हूं। दसवीं की परीक्षा पास करने के लिए रोजाना 7 से 8 घंटे तक पढ़ाई भी की। पिता मनोज देशवाल व मां सुमन ने भी पूरा सहयोग किया। परीक्षा की तैयारी के दौरान कभी ट्यूशन भी नहीं लगाया। अपनी मेहनत और टीचर के मार्गदर्शन के अनुसार पढ़ाई की।
- आकांक्षा, टॉपर छात्रा । मेरा लक्ष्य इंजीनियर बनना है। मेरे दादाजी आरपी लाठर भी इंजीनियर थे। उनकी प्रेरणा से ही मैं भी इंजीनियर बनूंगी। इसकी मद्देनजर तैयारी भी कर रही हूं। दसवीं की परीक्षा में 90 फीसद से अधिक अंक हासिल करने का लक्ष्य रख तैयारी की थी। पिता रजनीश व मां प्रो. सोनिया ने भी पूरा सहयोग दिया। तैयारी के लिए रोजाना छोटे लक्ष्य भी तय किए।
- हर्षिता, टॉपर छात्रा । मेरा सपना डाक्टर बनना है। मेरे परिवार में कोई भी डाक्टर नहीं है। पापा डाक्टर बनना चाहते थे लेकिन उनका सपना पूरा नहीं हुआ, अब मैं डाक्टर बनकर पिता का सपना पूरा करना चाहती हूं। अब मेडिकल साइंस में आगे की पढ़ाई करूंगी। पिता अनिल कुमार व मां सीमा भी मुझे इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहयोग कर रहे हैं।
- कशिश, टॉपर छात्रा । मेरा लक्ष्य डाक्टर बनना है। हालांकि दसवीं में गणित में रुचि नहीं थी और इस विषय में मैं कमजोर भी थी, लेकिन इस कमजोरी को दूर करने के लिए मैने शुरू से ही ट्यूशन भी पढ़ा और अतिरिक्त मेहनत भी की। पिता विजेंद्र सिगला और मां अर्चना सिगला का विशेष सहयोग रहा। रोजाना पांच घंटे पढ़ाई की। टीचर का भी मार्गदर्शन रहा।
- अवनी, टॉपर छात्रा । जब मैं छठी कक्षा में भी तो मेरी नानी को कैंसर था। इससे उनकी मौत हो गई थी। तब मुझे लगा कि काश मैं डाक्टर होती तो नानी को बचा लेगी। उसके बाद से मैंने बड़ी होकर डाक्टर बनने का लक्ष्य रखा। उसी के अनुसार पढ़ाई कर रही हूं। पिता अजीत सिंह व मां पूनम भी मुझे पूरा सहयोग कर रहे हैं। परीक्षा पास करने के लिए रोजाना छह घंटे पढ़ाई की।
- मुस्कान, टॉपर छात्रा
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