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शोध प्रविधि की बारीकियों को जानना बेहतरीन नींव रखने के समान : प्रो. नीना ¨सह

जागरण संवाददाता, रोहतक : गुणवत्तापरक शोध समय की जरूरत है। शोध के लिए सृजनात्मक सोच की

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 07:36 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 07:36 PM (IST)
शोध प्रविधि की बारीकियों को जानना बेहतरीन नींव रखने के समान : प्रो. नीना ¨सह
शोध प्रविधि की बारीकियों को जानना बेहतरीन नींव रखने के समान : प्रो. नीना ¨सह

जागरण संवाददाता, रोहतक : गुणवत्तापरक शोध समय की जरूरत है। शोध के लिए सृजनात्मक सोच की भी जरूरत होती है। विद्यार्थियों के लिए शोध प्रविधि की बारीकियों को जानना बेहतरीन शोध की नीवं रखने समान है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के चौ. रणबीर ¨सह इंस्टीटयूट ऑफ सोशल एण्ड इकोनोमिक चेंज की निदेशिका प्रो. नीना ¨सह ने कही। वह सोमवार को विश्वविद्यालय में-डूइंग रिसर्च: मैथडोलोजी एंड राइ¨टग स्किल्ज विषयक कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बोल रही थीं।

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निदेशिका चौ. रणबीर ¨सह इंस्टीटयूट आफॅ सोशल एंड इकानोमिक चेंज प्रो. नीना ¨सह ने कहा कि शोध प्रविधि एक चरणबद्ध प्रक्रिया है। विद्यार्थियों को इसकी जानकारी होनी चाहिए। साथ ही, शोध लेखन कौशल विकसित करना जरूरी है।

इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के सेंटर फॉर स्टडी आफ सोशल सिस्टम्स के अध्यक्ष प्रो. विवेक कुमार ने कहा कि शोधार्थियों को शोध की अवधारणाओं और सिद्धांतों की परिभाषा जाननी चाहिए। उन्होंने कहा कि शोधार्थियों केा वैज्ञानिक तथा गैर-वैज्ञानिक अन्वेषण में फर्क समझना होगा। प्रो. विवेक कुमार ने विशेष रूप से शोध प्रविधि पर समझ विकसित करने की बात रखी। इससे पूर्व, कार्यशाला के कार्यक्रम समन्वयक डा. एनके स्वैन ने शोध कार्यशाला की रूप रेखा प्रस्तुत की। डा. स्वैन ने बताया कि यह कार्यशाला 25 जनवरी तक आयोजित की जाएगी।

इस उद्घाटन सत्र में इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. जेएस धनखड ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि शोध उच्चतर शिक्षा के लक्ष्य-प्राप्ति में सहायक होता है। ऐसे में शोध के बेसिक्स की पुख्ता जानकारी शोधार्थियों को होनी चाहिए। कार्यक्रम के प्रारंभ में निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी ने कार्यशाला संबंधित जानकारी दी। कार्यशाला के तकनीकी सत्र में पंजाब विश्वविद्यालय (चंडीगढ़) के मानव संसाधन विकास केन्द्र (एचआरडीसी) केन्द्र के निदेशक प्रो. आशुतोष कुमार ने रिसर्च प्राब्लॅम, शोध उपकल्पना, रिसर्च डिजाइन आदि पर विशेष व्याख्यान दिया। इस अवसर पर निदेशक, आइएचटीएम प्रो. आशीष दहिया, विभागाध्यक्ष, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग प्रो. हरीश कुमार, अर्थशास्त्र विभाग की प्रो. डा. कविता चक्रवर्ती, समेत अनेक प्राध्यापकगण, शोधार्थी उपस्थित रहे। इस कार्यशाला में 110 प्रतिभागी भाग ले रहे है।


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