वैट घोटाले में सरकार ने दिए फर्मों के खिलाफ एफआइआर के आदेश
वर्ष 2010 से लेकर 2014 तक सिरसा में बिना माल की खरीद-फरोख्त फर्जी
जागरण संवाददाता, सिरसा :
वर्ष 2010 से लेकर 2014 तक सिरसा में बिना माल की खरीद-फरोख्त फर्जी बिलों के सहारे वैट घोटाले में शामिल रही फर्मों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश हो गए हैं। सिरसा की 24 फर्मों के खिलाफ एफआइआर के आदेश हुए हैं। ये वे फर्में हैं जो लोकायुक्त के निर्देश के बाद एसआइटी की जांच में दोषी मानी गई और इनकी ओर करोड़ों रुपये की राशि बकाया है जो गलत ढंग से वैट रिफंड के नाम पर ले ली गई। सरकार ने सिरसा व कैथल में 79 फर्मों के विरुद्ध एफआइआर के निर्देश दिए हैं। जिनमें 24 एफआइआर अकेले सिरसा में होनी हैं। बोगस सिगरेट खरीदने के मामले यह मामला शिव सहाने व रघुवीर सिंह की ओर से सरकार के समक्ष उठाया गया कि हरियाणा में अधिकारियों की मिलीभगत से एक हजार करोड़ से अधिक का वैट घोटाला हो गया है। बाद में यह मामला लोकायुक्त के समक्ष पहुंचा और लोकायुक्त ने एसआइटी से जांच के आदेश दिए। इसके बाद राज्य सरकार ने एसआइटी गठित की। शिकायतकर्ता का कहना रहा कि इन फर्मों में ज्यादातर का संबंध कागजों में सिगरेट की खरीद फरोख्त से रहा है और सिगरेट खरीद फरोख्त के नाम पर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगा दिया। इन फर्मों ने सिरसा की सिगरेट को हनुमानगढ़ व फतेहाबाद सहित अन्य स्थानों पर बेचा हुआ दिखाकर सरकार को मोटा नुकसान पहुंचाया। ज्यादातर फर्मों ने एक-दूसरे को ही माल बेचा हुआ है। तत्कालीन अधिकारियों के विरुद्ध भी एफआइआर के निर्देश डीईटीसी कार्यालय को प्राप्त हुए निर्देशों में पांच अधिकारियों के विरुद्ध भी एफआइआर की संस्तुति की गई है। जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी उनमें तत्कालीन ईटीओ डीपी बैनीवाल, डा. अशोक सुखीजा, अनिल मलिक, हनुमान सैनी, माला राम व ओपीएस अहलावत के नाम बताए गए हैं। डीईटीसी ने भी पुष्टि की है कि इन अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर के आदेश आए हैं। लीगल राय के बाद ही दर्ज होगी एफआइआर
सरकार ने लोकायुक्त द्वारा गठित एसआइटी की जांच में दोषी मानी गई फर्मों के विरुद्ध एफआइआर के निर्देश दिए हैं। साथ ही पांच अधिकारियों के खिलाफ भी एफआइआर की कार्रवाई की जानी प्रस्तावित है। अब इस संबंध में ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा फिर कानूनी राय लेने के बाद एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।
जगजीत सिंह, डीईटीसी