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घोड़े में मिला ग्लैंडर फार्सी पॉजिटिव, अन्य जिलों से घोड़ों के लाने व ले जाने पर रोक

जागरण संवाददाता रोहतक शुगर मिल के पास बने एक अस्तबल में रहने वाले घोड़े को ग्लैंडर

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 11:48 PM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 06:36 AM (IST)
घोड़े में मिला ग्लैंडर फार्सी पॉजिटिव, अन्य जिलों से घोड़ों के लाने व ले जाने पर रोक
घोड़े में मिला ग्लैंडर फार्सी पॉजिटिव, अन्य जिलों से घोड़ों के लाने व ले जाने पर रोक

जागरण संवाददाता, रोहतक : शुगर मिल के पास बने एक अस्तबल में रहने वाले घोड़े को ग्लैंडर फार्सी बीमारी पाए जाने से पशुपालकों और पशुपालन विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। बताया जा रहा है कि सुरक्षा के लिहाज से घोड़े को मार दिया गया है, और अस्तबल संचालक के संपर्क में रहने वाले अन्य घोड़ों के सैंपल भरते हुए जांच के लिए भेज दिए हैं। वहीं पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने जिले के अन्य अधिकारियों को पत्र जारी करते हुए घोड़ों को एक जिले से दूसरे जिले में ले जाने पर रोक लगाई गई है।

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जानकारी के अनुसार आजाद नगर मुहल्ला निवासी मोनू का शुगर मिल के पास एक अस्तबल बना हुआ है। पिछले दिनों मोनू एक घोड़ा खरीदकर लाया था। घोड़ा लाने के बाद वह उसे हिसार स्थित अपनी किसी रिश्तेदारी में ले गया था। जिसके बाद घोड़े को परेशानी हुई तो वह लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में उपचार के लिए ले गया था। घोड़े का सैंपल लेकर जांच कराई गई तो उसे ग्लैंडर फार्सी पॉजिटिव पाया गया। ग्लैंडर फार्सी पॉजिटिव पाए जाने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया। इसके बाद घोड़े को सुरक्षा के लिहाज से मारने की रणनीति तैयार की गई और 31 अक्तूबर को घोड़े को मार दिया गया। इसके बाद जिले के पशु पालन विभाग के अधिकारियों को पत्र जारी किया गया। अब अधिकारियों ने दावा किया है कि उन्होंने करीब एक दर्जन घोड़ों समेत अन्य पशुओं के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं। जबकि अन्य पशुपालकों से भी बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अधिकारियों को अवगत कराने के आदेश देते हुए सीएमओ, एनिमल हसबेंडरी के डीजी और एसपी को पत्र लिखते हुए सहयोग की अपील की है। हवा के माध्यम से जानवरों से इंसानों में पहुंचती है बीमारी

ग्लैंडर्स फार्सी एक जीवाणु जनित बीमारी है। घोड़ों के बाद इंसानों और अन्य पशुओं में पहुंचता है। नाक, मुंह और सांस के माध्यम से यह संक्रमण फैलता है। मैलिन नाम के टेस्ट से बीमारी को कंफर्म किया जाता है। घोड़े, खच्चर, गधों के शरीर की गाठों में इंफेक्शन के साथ पस भर जाती है। जिसके चलते पशु उठ नहीं पाते। शरीर में सूजन होने से अंत में मौत हो जाती है। ग्लैंडर्स फार्सी का घोड़ों में अभी तक इलाज संभव नहीं

यह बीमारी घोड़ों में होने की दशा में इसका ग्लैंडर्स फारसी एक्ट के तहत कोई इलाज अभी तक देश में नहीं है। जांच में ग्लैंडर्स मिलने पर घोड़े का अंत दर्द रहित मृत्यु यानी यूथेनेसिया ही है। बीमारी के बारे में पता चलते ही तुरंत घोड़े को दूर कर देना चाहिए। यदि किसी भी घोड़े में इस तरह के लक्षण पाए जाएं तो उसे आबादी से अलग बांधा जाए। वर्जन ----

जिले के पते पर रहने वाले एक घोड़े को ग्लैंडर्स फार्सी बीमारी पाई गई है। हिसार में जांच के बाद इसकी पुष्टि की गई है। बताया जा रहा है कि घोड़ा मालिक घोड़े को हिसार स्थित रिश्तेदारी में लेकर रह रहा था। कुछ घोड़ों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। साथ ही एनिमल हसबेंडरी के डीजी, स्वास्थ्य विभाग और एसपी को पत्र लिखा गया है। --- डा. सूर्य देव खटकड़, उप निदेशक पशु पालन विभाग ग्लैंडर्स फार्सी के लिए पशु पालन विभाग के अधिकारियों ने पत्र जारी किया है। उक्त बीमारी हवा के साथ, पशुओं की लार से भी फैल सकती है। सुरक्षा के लिहाज से तैयारियां की जा रहीं हैं। ----- डा. विवेक मोर, एपिडोमोलॉजिस्ट स्वास्थ्य विभाग ।


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