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गढ़ी बोहर के चौपाल विवाद ने पकड़ा तूल, संघर्ष समिति ने सोनीपत स्टैंड पर दो घंटे लगाया जाम

धर्मशाला के नामकरण मामले ने तूल पकड़ लिया है। दक्ष प्रजापति व दलित एवं पिछड़ा वर्ग समाज के साथ ही तमाम संगठनों ने आंबेडकर चौक के निकट प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 09:52 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 09:52 AM (IST)
गढ़ी बोहर के चौपाल विवाद ने पकड़ा तूल, संघर्ष समिति ने सोनीपत स्टैंड पर दो घंटे लगाया जाम
गढ़ी बोहर के चौपाल विवाद ने पकड़ा तूल, संघर्ष समिति ने सोनीपत स्टैंड पर दो घंटे लगाया जाम

जागरण संवाददाता, रोहतक : गांव गढ़ी बोहर स्थित धर्मशाला के नामकरण मामले ने तूल पकड़ लिया है। दक्ष प्रजापति व दलित एवं पिछड़ा वर्ग समाज के साथ ही तमाम संगठनों ने आंबेडकर चौक के निकट प्रदर्शन किया। प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। वार्ड-9 के पार्षद के खिलाफ पुलिस केस दर्ज करने की भी मांग की गई। प्रदर्शन करते हुए विभिन्न संगठनों ने प्रशासन पर भेदभाव के आरोप लगाए। तत्काल ही धर्मशाला का नाम दक्ष प्रजापति के नाम से रखने की मांग पर संगठन अड़ गए। मांग पूरी नहीं हुई तो संगठनों ने सोनीपत स्टैंड पर बीच सड़क पर बैठ गए। इस कारण आधा शहर करीब दो घंटे तक जाम में फंसा रहा। बाद में डीसी ने आठ-दस दिनों के अंदर पूरे मामले में जांच का आश्वासन दिया। इसी के बाद मामला शांत हो सका।

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आंदोलन के लिए गठित संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश बोहर और मिशन एकता समिति की अध्यक्ष कांता आलडिया के नेतृत्व में आंबेडकर चौक पर धरना दिया गया। धरने को देखते हुए पुलिस बल भी मौजूद था। हालांकि तमाम संगठनों ने रमेश बोहर और कांता आलडिया के नेतृत्व में जब लघु सचिवालय की तरफ सैकड़ों लोग चले तो यही कहा गया है कि संबंधित मांगों को लेकर ज्ञापन देंगे। तमाम संगठन मौके पर ही डीसी कैप्टन मनोज कुमार के मौके पर ही आने की जिद पर अड़ गए। इसलिए सोनीपत स्टैंड के निकट मुख्य सड़क पर आइसी कालेज के गेट के सामने व लघु सचिवालय के गेट के निकट ही धरना शुरू कर दिया। इस कारण शहर में जाम लग गया। पुलिस और प्रशासन की टेंशन बढ़ गई। करीब दो घंटे तक जाम लगा रहा। बाद में खुद डीसी वार्ता के लिए पहुंचे। संगठनों की तरफ से कांता ने प्रशासन के समक्ष अपना पक्ष रखा। प्रदर्शनकारियों में लोकीराम, किशोरी लाल प्रजापति, राजपाल प्रजापति, जयभगवान, जितेंद्र दक्ष, प्रमोद सिंहपुरिया, मनजीत मोखरा, महेंद्र बांगडी, धर्मबीर कलसन, मनीषा बोहत, अशोक थोरिया, सूरज देहराज, सतीश प्रजापत, प्रिस मल्होत्रा, मदन मुंगाना, नौरंग रूड़की, प्रीती, अर्जुन बांगडी, रेनु डीघल व मुकेश प्रजापति प्रमुख रूप से शामिल रहे।

संगठनों की नाराजगी समर्थन में 22 में से 17 पार्षद फिर देरी क्यों

संगठनों की असल नाराजगी इस बात से थी कि 22 में से 17 पार्षदों ने गढ़ी बोहर की धर्मशाला का नाम दक्ष प्रजापति के नाम से रखने के लिए समर्थन दिया है। फिर भी नाम रखने में देरी क्यों हो रही है। कांता, जितेंद्र दक्ष आदि ने कहा कि सिर्फ पांच पार्षदों के दबाव में 36 बिरादरी का भाई चारा खराब करने का काम किया जा रहा है। यह भी कहा कि प्रशासन को समझना चाहिए कि इतने बड़े महापुरुष का अपमान क्यों किया जा रहा है। अगली बार इससे भी बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

जाम से कराह उठा शहर, विवाद में पार्षदों के बीच चले थे थप्पड़

सोनीपत स्टैंड पर जाम के बाद प्रशासन की नींद खुली। दरअसल, जाम के चलते सोनीपत रोड, दिल्ली रोड, आंबेडकर चौक, तहसील रोड, छोटूराम चौक के अलावा करीब पांच-सात किमी दूर तक जाम लग गया। लोगों के बीच चर्चा होने लगी कि किसानों ने शहर जाम कर दिया है। हालांकि लोगों को असल कहानी बाद में पता चली। वहीं, बता दें कि करीब 1000 गज जमीन पर मारूती कंपनी ने कम्युनिटी सेंटर का निर्माण कार्य कराया था। पार्षद जयभगवान चाहते हैं कि कम्युनिटी सेंटर का नाम सामाजिक केंद्र हो, लेकिन संगठन चाहते हैं कि कम्युनिटी सेंटर का नाम दक्ष प्रजापति के नाम से रखा जाए। पार्षद पर बोर्ड तक उखाड़ने के आरोप हैं। बता दें कि इसी विवाद में पार्षद जयभगवान के साथ एक अन्य भाजपाई पार्षद के साथ मारपीट तक हो चुकी है। वर्जन

पूर्व में पार्षद ने कम्युनिटी सेंटर का नाम तय करा लिया था। बाद में हमारे पास कुछ संगठनों व पार्षदों की आपत्तियां आईं तो हमने दोबारा से हाउस की बैठक में मामला रखा। पार्षद जयभगवान नाम परिवर्तन का विरोध कर रहे हैं, जबकि कई पार्षदों ने नाम बदलवाने के लिए पत्र लिख दिया है।

मनमोहन गोयल, मेयर, नगर निगम

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मेरी इस प्रकरण में कोई गलती नहीं। पूर्व में पार्षद थीं सरिता देवी। उन्होंने भी लिखकर दिया था कि कम्युनिटी सेंटर का उपयोग 36 बिरादरी करेंगी। मैंने कोई बोर्ड भी नहीं उखाड़ा है। यदि किसी को कोई आपत्ति है तो मारूती कंपनी से इस प्रकरण में वार्ता की जा सकती है।

जयभगवान, भाजपा पार्षद, वार्ड-9

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जिस तरह से पार्षद जयभगवान ने दबंगई दिखाई है उससे लगता है कि प्रशासन मूकदर्शक बन गया है। एक पार्षद के खिलाफ भी कार्रवाई करने में अधिकारी सक्षम नहीं। चौपाल का नाम हर हाल में दक्ष प्रजापति के नाम से ही रखना होगा।

कांता आलडिया, प्रमुख, मिशन एकता समिति

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चौपाल के गेट पर बोर्ड लगा हुआ था, उसे पार्षद ने उखड़वा दिया। एक चौपाल का निर्माण 36 बिरादरी के लिए निर्मित हुई, लेकिन पार्षद इस चौपाल का नाम दक्ष प्रजापति के नाम से नहीं रखने दे रहा। आठ-दस दिन बाद प्रशासन कोई फैसला नहीं लेगा तो इस बार से बड़ा अनिश्चितकाल के लिए आंदोलन होगा।

रमेश बोहर, भाजपा नेता


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