शहर के पांच चौराहे बने ट्रैफिक पुलिस के लिए चुनौती
यूं तो शहर में आटो पर सम-विषम सिस्टम लागू होने के बाद जाम की समस्या से काफी हद तक निजात मिल गई है लेकिन अभी भी शहर के पांच चौराहे ऐसे हैं जो ट्रैफिक पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। दिल्ली बाईपास से वाल्मीकि चौक तक पड़ने वाले यह पांच चौराहे ऐसे हैं कि यहां से एक पल के लिए भी ट्रैफिक पुलिस के जवान को नहीं हटा पा रहे हैं। ट्रैफिक अधिक होने के कारण पल भर में ही यहां पर लंबा जाम लग जाता है। ऐसे में इन चौराहों पर पर भी ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए पुलिस अलग प्लान तैयार कर रही है। जिसके तहत नगर निगम की बजाय ट्रैफिक पुलिस ही रेड लाइट को आपरेट करेगी।
जागरण संवाददाता, रोहतक : यूं तो शहर में आटो पर सम-विषम सिस्टम लागू होने के बाद जाम की समस्या से काफी हद तक निजात मिल गई है, लेकिन अभी भी शहर के पांच चौराहे ऐसे हैं जो ट्रैफिक पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। दिल्ली बाईपास से वाल्मीकि चौक तक पड़ने वाले यह पांच चौराहे ऐसे हैं कि यहां से एक पल के लिए भी ट्रैफिक पुलिस के जवान को नहीं हटा पा रहे हैं। ट्रैफिक अधिक होने के कारण पल भर में ही यहां पर लंबा जाम लग जाता है। ऐसे में इन चौराहों पर पर भी ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए पुलिस अलग प्लान तैयार कर रही है। जिसके तहत नगर निगम की बजाय ट्रैफिक पुलिस ही रेड लाइट को आपरेट करेगी।
शुरुआत करते है दिल्ली बाईपास से। शहर के बाहरी छोर पर पड़ने वाले इस चौराहे पर एक मिनट में सैकड़ों वाहन गुजर जाते हैं। यहां पर अक्सर भीड़भाड़ रहती है। छोटे वाहनों के अलावा यहां से बसें भी गुजरती है, जिस कारण जाम की समस्या अधिक रहती है। इसी दौरान मेडिकल मोड के हालात है। यहां की स्थिति ऐसी है कि तिराहा होने के बावजूद अक्सर पीजीआइएमएस में जाने वाली एंबुलेंस को जाम से जूझकर निकलना पड़ता है। हालांकि ट्रैफिक पुलिसकर्मी जाम की समस्या से निपटने के लिए हर समय तैयार रहते हैं। लघु सचिवालय के नजदीक सोनीपत स्टैंड भी किसी चुनौती से कम नहीं है। लघु सचिवालय में आने वाले अधिकारी भी यहीं से गुजरते हैं। जिस कारण ट्रैफिक पुलिस के भी पसीने छूटे रहते हैं कि कोई बड़ा अधिकारी या कोर्ट में आने वाले न्यायाधीश की गाड़ी जाम में ना फंस जाए। इससे अलावा दुर्गा भवन चौक और आखिर में एलिवेटेड रोड से उतरते ही वाल्मीकि चौक। इन दोनों चौराहों पर भी अक्सर जाम की स्थिति रहती है। हालांकि पहले के मुकाबले काफी हद तक सुधार भी नहीं है। यदि इन पांच चौराहों की बात करें तो सुबह से लेकर देर शाम तक ट्रैफिक के कम से कम 15 जवान लगाने पड़ते हैं, तब जाकर ट्रैफिक सुचारू रूप से चलता है।
3 जनवरी से लागू है सम-विषम सिस्टम
ट्रैफिक पुलिस की तरफ से 3 जनवरी से आटो और ई-रिक्शा पर सम-विषम सिस्टम लागू किया गया है। जिसके बाद से ही इसी सिस्टम के तहत आटो चल रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस अब अगले चरण में बाहरी जिले के आटो की पहचान कर उन पर कार्रवाई करने की तैयारी में है। जो आटो रोहतक में रजिस्टर्ड है उसे ही यहां पर चलने दिया जाएगा। दूसरे जिलों में रजिस्टर्ड आटो को यहां से बाहर भेजा जाएगा।
निगम से कई बार मांग चुके हैं रेड लाइट की चाबी : डीएसपी
डीएसपी ट्रैफिक डा. रविद्र सिंह का कहना है कि ट्रैफिक सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए रेड लाइट को अपने अधिकार में लिया जाएगा। अभी तक नगर निगम इन्हें आपरेट कर रहा है। ट्रैफिक पुलिस अपने अधिकार में लेकर इन्हें खुद आपरेट करेगी। चौराहे से गुजरने वाले वाहनों की संख्या के हिसाब से इनका समय कम या ज्यादा किया जाएगा। नगर निगम को इस बारे में कई बार कहा जा चुका है, लेकिन अभी तक उन्होंने तक उन्होंने रेड लाइट की चाबी नहीं दी है।