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कंजकों को पूजकर मनाई दुर्गाष्टमी, मंदिरों में लगे जय श्री राम के जयकारे

जागरण संवाददाता, रोहतक : दुर्गा अष्टमी व रामनवमी पर्व रविवार को रोहतक में धूमधाम से मना

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Mar 2018 09:05 PM (IST)Updated: Sun, 25 Mar 2018 09:05 PM (IST)
कंजकों को पूजकर मनाई दुर्गाष्टमी, मंदिरों में लगे जय श्री राम के जयकारे
कंजकों को पूजकर मनाई दुर्गाष्टमी, मंदिरों में लगे जय श्री राम के जयकारे

जागरण संवाददाता, रोहतक :

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दुर्गा अष्टमी व रामनवमी पर्व रविवार को रोहतक में धूमधाम से मनाया गया। दुर्गा अष्टमी और रामनवमी दोनों एक ही दिन होने के चलते मंदिरों में श्रद्धालुओं की खूब भीड़ लगी रही। अल सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं का आवागमन शुरू हो गया। तमाम मंदिरों में भंडारे भी लगाए गए। वहीं कंजकों का पूजन भी किया गया। रविवार को प्राचीन शीतला माता मंदिर, दुर्गा भवन मंदिर, संकट मोचन मंदिर, गुफा वाला मंदिर, गोहाना रोड स्थित माता मंदिर सहित शहर के तमाम मंदिरों में कंजक पूजन किया गया और माता के जयकारे गूंजे। उधर, रामनवमी के अवसर पर भी शहर में हवन यज्ञ सहित कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। दुर्गा भवन मंदिर के पुजारी आचार्य मनोज कुमार मिश्र ने बताया कि नवरात्र के नौवें दिन मां के नौवें स्?वरूप सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों की दाती हैं, इसीलिए ये सिद्धिदात्री कहलाती हैं। माता के नौवें रूप सिद्धिदात्री की भी पूजा मां के अन्य रूपों की तरह ही की जाती है। मार्कण्डेय पुराण में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्व ये आठ सिद्धियां बताई गई हैं। इन सभी सिद्धियों को देने वाली यही सिद्धिदात्री मां हैं। नवरात्र के नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री का ध्यान व उपासना की जाती है। राम का प्रकट उत्सव मनाया :

आचार्य ने बताया कि रामनवमी को राम के प्राकट्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है। रामनवमी एक ऐसा पर्व है जिसपर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रतिवर्ष नए विक्रम संवत्सर का प्रारंभ होता है और उसके आठ दिन बाद ही चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को एक पर्व राम जन्मोत्सव का जिसे रामनवमी के नाम से पूरे देश में मनाया जाता है। रामनवमी के दिन श्रद्धालु बड़ी संख्या में उनके जन्मोत्सव को मनाने के लिए राम की मूर्तियों को पालने में झुलाते हैं। धार्मिक ²ष्टि से चैत्र शुक्ल नवमी का विशेष महत्व है। त्रेता युग में चैत्र शुक्ल नवमी के दिन रघुकुल शिरोमणि महाराज दशरथ एवं रानी कौशल्या के यहां राम ने पुत्र के रूप में जन्म लिया था। राम का जन्म दिन के बारह बजे हुआ था। राम के सौंदर्य व तेज को देखकर उनके नेत्र तृप्त नहीं हो रहे थे। प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल नवमी को राम जन्मोत्सव मनाते हैं।

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रतन कंवर


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