मूकबधिरों के लिए कार्य स्थलों को समावेशी बनाने की जरूरत : डा. शेखर
एमडीयू और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) और हरियाणा वेलफेयर सोसायटी फॉर पर्सन्स विद स्पीच एंड हियरिग इंपेयरमेंट पंचकूला की ओर से कार्यक्रम कराया गया था।
जासं, रोहतक : महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) और हरियाणा वेलफेयर सोसायटी फॉर पर्सन्स विद स्पीच एंड हियरिग इंपेयरमेंट, पंचकूला की ओर से कार्यक्रम कराया गया था। इसमें मूकबधिरों को मुख्यधारा में लाने के लिए राष्ट्रीय संवेदीकरण ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम कराया गया।
सीएसआइआर के महानिदेशक डा. शेखर सी पांडेय ने कहा कि कार्यस्थलों पर मूकबधिरों की सुविधा के लिए संकेत भाषा अहम है। कार्य स्थलों को इन वर्गाें के व्यक्तियों के लिए समावेशी बनाए जाने की जरूरत है। एचडब्लूएसपीएसएचआइ, पंचकूला की अध्यक्ष डा. शरणजीत कौर ने कहा कि समाज को मूक एवं बधिर जन के प्रति संवेदी बनाए जाने की जरूरत है। एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि सीएसआइआर जैसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संगठन और एमडीयू के आपसी तालमेल, संयुक्त शोध कार्य और सहभागितापूर्ण कार्यक्रम मानव कल्याण और सामाजिक उत्थान के लिए महत्वपूर्ण पहल कर सकते हैं। तकनीकी सत्रों में डिसएबीलिटी एक्टिविस्ट निपुण मल्होत्रा, सौदामनी पेठे, सपना जैन एवं अकील हजी, अकील चिनाय, आभा बिष्ट, स्वाति जांगिड़ ने संबोधित किया। इस मौके पर सीएसआइआर एचआरडीसी के हेड डा. आर के सिध, प्रिसिपल साइंटिस्ट, एचआरडीसी, सीएसआइआर विनय कुमार आदि मौजूद रहे।