श्रद्धालुओं ने माता के जयकारे लगाकर परिसर को बनाया भक्तमय
ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री के सानिध्य में रविवार को शारदीय नवरात्र महोत्सव के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी मां की पूजा-अर्चना श्रद्धा व उत्साह के साथ की गई।
जागरण संवाददाता, रोहतक : माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री के सानिध्य में रविवार को शारदीय नवरात्र महोत्सव के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी मां की पूजा-अर्चना श्रद्धा व उत्साह के साथ की गई। भक्तों ने मां का गुणगान कर जगदंबे भवानी से मंगलकामनाओं की मांग की।
वहीं, श्रद्धालुओं ने माता के जयकारे लगाकर परिसर को भक्तमय बनाया। गद्दी आशीन साध्वी मानेश्वरी देवी ने सत्संग कर प्रवचन सुनाए। उन्होंने बताया ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। इसे तप का आचरण करने वाली भी कहा जाता है। मां ब्रह्मचारिणी की अराधना करने से भक्तों की तप शक्ति बढ़ती है। ऐसी मान्यता है कि माता ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना जो श्रद्धा से करता है उसकी इंद्रियां उनके नियंत्रण में रहती हैं। मां की तपस्या या ध्यान लगाने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। वहीं हर प्रकार का भय दूर होता है। मानेश्वरी देवी ने कहा जब भी भक्तों को कोई कष्ट होता है या समाज में अधर्म होता है। तब देवी मां किसी न किसी रूप में अवतार लेकर राक्षसों का संहार करती हैं। माता इतनी दयालु है कि वह निरंतर भक्तों का कल्याण करती हैं। वह अपने भक्तों को निरंतर अपनी कृपा से निहाल करती है। कार्यक्रम में संकट मोचन मंडली और हनुमान सेवा दल ने सहयोग दिया।