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किसानों के धैर्य का इम्तिहान न ले सरकार, जल्द माने मांगें : दीपेंद्र हुड्डा

राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसान आंदोलन को लेकर सरकार के रवैये पर सवाल खड़े किए और कहा कि सरकार लगातार किसानों के धैर्य का इम्तिहान ले रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 09:24 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 09:24 AM (IST)
किसानों के धैर्य का इम्तिहान न ले सरकार, जल्द माने मांगें : दीपेंद्र हुड्डा
किसानों के धैर्य का इम्तिहान न ले सरकार, जल्द माने मांगें : दीपेंद्र हुड्डा

जागरण संवाददाता, रोहतक : राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसान आंदोलन को लेकर सरकार के रवैये पर सवाल खड़े किए और कहा कि सरकार लगातार किसानों के धैर्य का इम्तिहान ले रही है। जबकि किसानों की मांग पूरी तरह स्पष्ट और जाय•ा हैं। कृषि कानूनों को वापस लेने से भी सरकार के ख•ाने पर भी कोई असर नहीं पड़ने वाला। सरकार का ये अड़ियल रवैया समझ से परे है। वे रविवार को जिला में आयोजित सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत करने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि अन्नदाता मुश्किल और निर्णायक दौर से गु•ार रहा है। हरियाणा सरकार की तरफ से लगाई गई तमाम बंदिशों को पार करते हुए, किसान अपना घर छोड़कर कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठा है। इतने बड़े स्तर पर चल रहा आंदोलन पूरी तरह अनुशासित और शांतिपूर्ण है। किसान ही नहीं देशभर के मजदूर, कर्मचारी, समाजिक, राजनीतिक और दूसरे संगठनों का समर्थन भी आंदोलन को मिल रहा है। हरियाणा, पंजाब के बाद यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, झारखंड, महाराष्ट्र समेत सभी प्रदेशों के किसान इस आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं। इसलिए अब ये जन-जन का आंदोलन बन चुका है। आंदोलन जितना लंबा चलेगा, उतना ही बड़ा होता जाएगा।

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार किसानों को बयानबा•ाी और आधे अधूरे आश्वासनों में उलझाने की कोशिश ना करे। किसान अपनी मांगों से किसी भी तरह के समझौते के मूड में नहीं हैं। इसलिए सरकार को अन्नदाता के दर्द और मांगों की गंभीरता को समझना चाहिए।

सरकार किसानों की मांगों को माने : दीपेंद्र हुड्डा

संवाद सहयोग, महम : किसान तीन कृषि कानूनों को रद किए जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है। जिसके चलते किसान आंदोलन करने पर मजबूर हैं। सरकार को चाहिए कि वो किसानों की मांगों को मान लें। यह बात राज्य सभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने कहीं। वे महम में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी बिल को पास करने के लिए पहले मसौदा तैयार किया जाता है। किसान संगठनों को बुलाकर उस पर चर्चा की जाती ।उसके बाद सर्वसम्मति से पास किया जाता है। ये तीनों कानून कोरोना की आड में बनाकर किसानों पर थोपे गए हैं। इस अवसर पर पूर्व उपचेयरमैन बलराम दांगी, ब्लाक अध्यक्ष जगत सिंह काला, अनिल शर्मा, बिजेन्द्र दहिया, ,सोमनाथ गिरौत्रा, पार्षद कृष्ण नेहरा, धर्मपाल मेहता, बलजीत किशनगढ, विकास सीसर, धर्मराज खेडी, रामफल ठेकेदार व नन्दलाल रलहन आदि उपस्थित थे।


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