कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने के तीन माह बाद लगवाएं वैक्सीन, ठीक होने के एक माह बाद कर सकते हैं प्लाज्मा दान
कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीन काफी हद तक कारगर है। वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद शरीर में कोरोना वायरस के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होती है। वैक्सीन को लेकर लोगों में कुछ भ्रम की स्थिति भी देखी गई है। पहली और दूसरी डोज के बीच में दिनों के अंतर के साथ ही एंटीबॉडी बनने के समय को लेकर लोगों के सवाल भी हैं। देशभर में दो कोरोना वैक्सीन फिलहाल नागरिकों को लगाई जा रही हैं।
केएस मोबिन, रोहतक :
कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीन काफी हद तक कारगर है। वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद शरीर में कोरोना वायरस के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होती है। वैक्सीन को लेकर लोगों में कुछ भ्रम की स्थिति भी देखी गई है। पहली और दूसरी डोज के बीच में दिनों के अंतर के साथ ही एंटीबॉडी बनने के समय को लेकर लोगों के सवाल भी हैं। देशभर में दो कोरोना वैक्सीन फिलहाल नागरिकों को लगाई जा रही हैं।
पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और हैदराबाद के भारत बायोटेक की को-वैक्सीन की डोज वैक्सीनेशन सेंटर पर उपलब्ध कराई गई हैं। वैक्सीन की कमी भी देखी जा रही है। खासकर को-वैक्सीन की डोज की कमी बनी हुई है। पीजीआइएमएस रोहतक में को-वैक्सीन के ट्रायल के को-इंवेस्टीगेटर डा. रमेश वर्मा ने वैक्सीन को लेकर अहम सवालों के जवाब दिए हैं। सवाल : पहली डोज के कितने दिन बाद दूसरी डोज लगवानी आवश्यक है, निर्धारित समयावधि ऊपर हो जाए तो इसका क्या असर पड़ेगा?
जवाब : को-वैक्सीन की पहली डोज के बाद दूसरी डोज 28 दिन बाद लगती है। हालांकि, डेटा के अध्ययन से पता चलता है कि चार से छह सप्ताह तक भी दूसरी डोज लगवाने पर भी वैक्सीन असरकारी रहती है। कोविशील्ड की दूसरी डोज के लिए छह से आठ सप्ताह का फासला रखा गया है। सवाल : वैक्सीन लगने के बाद कितने दिन बाद एंटीबॉडी बनने की शुरुआत होती है?
जवाब : पहली डोज लगने के 42 दिन बाद शरीर में एंटीबॉडी बनने की शुरुआत होती है। यह प्रोटेक्टिव एंटीबॉडी होती है। वैक्सीन लगने के बाद भी मास्क व शारीरिक दूरी रखने की आवश्यकता होती है। को-वैक्सीन की एफिकेसी रेट 78 फीसद तक बताई जा रही है। सवाल : एंटीबॉडी कितने दिन तक शरीर में काम करती है?
जवाब : यदि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हो जाता है तो उसमें वायरस से मुकाबले के लिए एंटीबॉडी बन जाती हैं। यह तीन से छह माह तक शरीर में बनी रह सकती हैं। प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में अलग-अलग समयावधि के लिए एंटीबॉडी बनती है। सवाल : शरीर में एंटीबॉडी की स्थिति में कब प्लाज्मा डोनेट किया जा सकता है?
जवाब : कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने पर व्यक्ति में एंटीबॉडी बन जाती है। एक माह बाद स्वस्थ व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। वहीं, स्वस्थ होने के तीन माह के बाद वैक्सीनेशन भी करा सकता है। सवाल : क्या कोरोना एक्टिव मरीज को भी वैक्सीन लगाई जा सकती है?
जवाब : नहीं। फिलहाल, इस तरह की वैक्सीन विकसित नहीं की गई है। वायरस के व्यवहार के बारे में अभी भी बहुत कुछ पता लगाना बाकी है। वर्तमान में स्वस्थ लोगों को वैक्सीन लगा संक्रमण से बचाव किया जा रहा है। वर्जन :
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि वैक्सीन लगवाएं। 18 प्लस कैटेगरी में भी वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है। सामान्य परिस्थितियों के लिए बहुत जरूरी है कि ज्यादातर जनसंख्या का वैक्सीनेशन जल्द से जल्द हो जाए। कोविन पोर्टल या आरोग्य सेतु एप के जरिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन कराकर वैक्सीनेशन के लिए शेड्यूल फिक्स करें।
- डा. रमेश वर्मा, पीजीआइएमएस रोहतक में को-वैक्सीन के को-इंवेस्टीगेटर।