मुख्यमंत्री सर्वेसर्वा लेकिन सीआइडी गृह मंत्रालय का अंग : विज
जागरण संवाददाता रोहतक गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश के सर्वेसर्वा होते हैं
जागरण संवाददाता, रोहतक : गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश के सर्वेसर्वा होते हैं और कोई भी विभाग ले सकते हैं। लेकिन इसके लिए तरीका होता है। सीआइडी गृह मंत्रालय के अधीन है। एक प्रक्रिया के तहत इसे लिया जा सकता है। वे शुक्रवार को सिचाई विश्रामगृह में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि मुख्यमंत्री और उनके बीच किसी प्रकार का विवाद नहीं है। विपक्ष इसे बिना किसी वजह के मुद्दा बना रहा है। मध्यावधि चुनाव के सवाल पर कहा कि दोनों पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और ओमप्रकाश चौटाला डिप्रेशन के शिकार हैं। वे स्वास्थ्य मंत्री हैं और इसका अच्छी तरह से पता कर सकते हैं। महम के विधायक बलराज कुंडू द्वारा पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर व पीजीआइएमएस में अमृत फार्मेसी में महंगी दवा के आरोपों को लेकर उन्होंने जांच के आदेश दिए। गृहमंत्री विज ने कहा कि पीजीआइ में अमृत फार्मेसी से महंगी दवा की जांच स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से करवाई जाएगी। जांच में जो सामने आएगा, उसके आधार पर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। साथ ही, नगर निगम में भ्रष्टाचार और महम नगरपालिका के चेयरमैन पर रिश्वत मांगने के आरोपों पर भी सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि विधायक बलराज कुंडू उनके लिए सम्मानित हैं और उनकी हर बात को गंभीरता से लिया जाएगा। नगर निगम मेयरों को पावर नहीं दिए जाने के सवाल पर कहा कि मेयरों को पूरी शक्तियां दी गई है। सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव भी शीघ्र करवाए जाएंगे। उन्होंने कहा जब से उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को संभाला है तभी से स्वास्थ्य सेवाओं में काफी सुधार हुआ है। हर जिले में ट्रामा सेंटर खोलने की योजना है। चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए एडहॉक पर भर्ती किया जा रहा है, जिनको पूरा पैकेज दिया जाएगा। इस अवसर पर सांसद डा. अरविद शर्मा, विधायक बलराज कुंडू और जिला अध्यक्ष अजय बंसल मौजूद थे। शिक्षण संस्थाओं को राजनीति से दूर रखना होगा
गृहमंत्री अनिल विज ने जेएनयू में हुए प्रकरण पर पूछे गए सवाल पर कहा कि शिक्षण संस्थाओं को राजनीति से दूर रखना चाहिए। जब तक राजनीतिक हस्तक्षेप व गतिविधियां होगी, तब तक इस तरह की घटनाओं को रोकना संभव नहीं है। शिक्षण संस्थानों को शिक्षण गतिविधियों तक ही सीमित रखना होगा, ताकि युवा वहां से बेहतर शिक्षा ग्रहण कर सकें।