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भाई को तिलक लगाकर बहनें करेंगी उनकी लंबी आयु की कामना

भाई बहन के पवित्र रिश्ते को बया करता भाई दूज पर्व शुक्रवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। बहनों ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। वहीं बाजारों में भी पर्व को लेकर खासी चहल पहल रही। भाई के माथे पर तिलक लगाकर बहनें आज उनकी लंबी आयु की कामना करेंगी। दुर्गा भवन मंदिर के पुजारी आचार्य मनोज मित्र का कहना है कि दीपावली महापर्व का अंतिम पर्व भाई दूज है, इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि सूर्य पुत्र यम ने इस दिन अपनी बहन यमुना के घर जाकर भोजन किया और उन्हें उपहार दिए। यमुना ने अपने भाई यम को तिलक किया, तब ही से यह त्यौहार यम द्वितीया व भाई दूज के नाम से मनाया जाने लगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 12:15 AM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 12:15 AM (IST)
भाई को तिलक लगाकर बहनें करेंगी उनकी लंबी आयु की कामना

जागरण संवाददाता, रोहतक :

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भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को बया करता भाई दूज पर्व शुक्रवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। बहनों ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। वहीं बाजारों में भी पर्व को लेकर खासी चहल पहल रही। भाई के माथे पर तिलक लगाकर बहनें आज उनकी लंबी आयु की कामना करेंगी। दुर्गा भवन मंदिर के पुजारी आचार्य मनोज मित्र का कहना है कि दीपावली महापर्व का अंतिम पर्व भाई दूज है, इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि सूर्य पुत्र यम ने इस दिन अपनी बहन यमुना के घर जाकर भोजन किया और उन्हें उपहार दिए। यमुना ने अपने भाई यम को तिलक किया, तब ही से यह त्यौहार यम द्वितीया व भाई दूज के नाम से मनाया जाने लगा। आचार्य के अनुसार भाई दूज पर्व के अवसर पर तिलक के शुभमुहूर्त का समय दोपहर 1:10 से 3:20 तक रहेगा। जिसकी अवधि 2 घंटे 10 मिनट है। बता दें कि इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती है। वहीं भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार भेंट करता है।

ऐसे सजाएं पूजा की थाली

इस दिन भाई के तिलक के लिए थाली सजाएं। इसमें पुष्प, कुमकुम और चावल आदि रखें। एक निश्चित स्थान पर आसन बिछाएं उस पर भाई को बिठाएं। इसके बाद शुभ मुहूर्त में भाई का तिलक करें और उन्हें मिठाई खिलाएं।

भाई दूज पर्व की पौराणिक कथा

आचार्य ने बताया कि यम और यमी सूर्य देव के पुत्र और पुत्री थे। धार्मिक मान्यता के अनुसार भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। इस अवसर पर यमुना ने भाई यमराज को भोजन कराया और उनका तिलक किया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यमी को वचन दिया कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी उसे मेरा भय नहीं होगा। इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई, जिसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन यमुना नदी में स्नान का बड़ा महत्व है। जो भाई-बहन भाई दूज पर यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है।


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