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जिसे आप कचरा समझते हैं वह है बड़ी उपयोगी, Bio CNG व जैविक खाद होगी तैयार

जल्द ही पराली से लेकर घरों से बचे हुए भोजन, गोबर, शुगर मिल से निकलने वाले कचरे, पोल्ट्री फॉर्म से निकलने वाले कचरे और आटे की भूसी से बायो कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) बनेगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 07:06 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 08:27 PM (IST)
जिसे आप कचरा समझते हैं वह है बड़ी उपयोगी, Bio CNG व जैविक खाद होगी तैयार
जिसे आप कचरा समझते हैं वह है बड़ी उपयोगी, Bio CNG व जैविक खाद होगी तैयार

रोहतक [अरुण शर्मा]। जल्द ही पराली से लेकर घरों से बचे हुए भोजन, गोबर, शुगर मिल से निकलने वाले कचरे, पोल्ट्री फॉर्म से निकलने वाले कचरे और आटे की भूसी से बायो कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) बनेगी। इसके लिए आसन गांव में छह हजार क्यूबिक मीटर क्षमता का बायो मीथेन प्लांट लगकर तैयार हो चुका है। इससे रोजाना करीब 2400 किग्रा बायो सीएनजी का उत्पादन होगा। वहीं, प्लांट से निकलने वाले मलबे से रोजाना 50 टन तक जैविक खाद (ब्राउन गोल्ड) भी तैयार होगी। यह खाद किसानों को सस्ती दरों पर बेचा जाएगी। सरकार की मदद से दिल्ली की एक एजेंसी ने यह प्लांट लगाया है।

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लाइसेंस मिलते ही संचालित होगा प्लांट

अक्षय ऊर्जा विभाग के प्रोजेक्ट आफिसर एसएस सांगवान ने बताया कि आसन गांव में एक एकड़ जमीन पर दो प्लांट बनाए गए हैं। छोटे प्लांट में प्रतिदिन 125 टन तक बायोवेस्ट डाला जाएगा। यह बायोवेस्ट तरल में तब्दील होकर बड़े प्लांट में जाएगा, इससे सीएनजी का उत्पादन होगा। इसके बाद नियमित तौर पर जितना बायोवेस्ट डाला जाएगा, उतनी ही सीएनजी का उत्पादन होगा।

बचे हुए मलबे को बड़े गहरे कुंओं में डाला जाएगा। नमी खत्म होने पर 25 दिनों तक मलबे को सुखाया जाएगा, जिससे जैविक खाद बनेगी। उन्होंने बताया कि प्लांट के लिए महाराष्ट्र के नागपुर स्थित पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) लाइसेंस जारी करेगा। नागपुर की टीम आसन गांव में प्लांट का दौरा कर और जांच के बाद संचालन की मंजूरी देगी।

महम और भाली आनंदपुर की शुगर मिल से किया संपर्क

प्लांट लगाने वाली कंपनी के एमडी प्रतीक सिंघल कहते हैं कि कचरे के लिए महम और भाली आनंदपुर में संचालित शुगर मिल से संपर्क किया गया है। उनसे हमने गन्ने की पिराई के बाद बचने वाले अवशेष मांगे हैं। यदि शुगर मिल अवशेष देने के लिए राजी हो जाती है तो हमें सहूलियत होगी।

भोजन पकाने से लेकर वाहन तक चला सकेंगे

प्रतीक सिंघल का कहना है कि बायो सीएनजी को भोजन पकाने से लेकर वाहन चलाने तक में उपयोग किया जा सकेगा। हलवाई बड़ी भट्ठियों को भी इससे संचालित कर सकेंगे। खास बात यह होगी कि बायो सीएनजी के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा।

20 किमी दायरे में आने वाले गांवों से होगा संपर्क

प्लांट के लिए आसन गांव के करीब 20 से 25 किमी के दायरे में आने वाले गांवों के लोगों से संपर्क किया जाएगा। किसानों से पराली, पोल्ट्री फॉर्म का मलबा, आटे की भूसी पक्षियों की बीट, गोबर, घरों में बचने वाली खाद्य सामग्री यानि बायो डिग्रीडेबल वेस्ट खरीदा जाएगा। प्लांट के लिए रोजाना 125 टन तक बायोवेस्ट की जरूरत होगी, इसलिए किसानों से एडवांस में पराली खरीदने के लिए समझौता किया जाएगा।

नागपुर की टीम करेगी निरीक्षण

अक्षय ऊर्जा विभाग के प्रोजेक्ट अफसर एसएस सांगवान हम आसन गांव में प्लांट का निरीक्षण कर चुके हैं। अब नागपुर से एक टीम निरीक्षण के लिए आएगी। निरीक्षण के बाद ही संचालन की हरी झंडी मिलेगी।

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