Move to Jagran APP

ब्लैक फंगस की वैकल्पिक दवा भी मार्केट से गायब

ब्लैक फंगस या म्यूक्रोमायकोसिस के मरीजों का आंकड़ा लगातार तेजी से बढ़ रहा है। एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्श्न की भारी किल्लत को देखते हुए राज्य सरकार ने वैकल्पिक दवा के लिए खोजने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमेटी बनाई थी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 May 2021 09:14 AM (IST)Updated: Wed, 26 May 2021 09:14 AM (IST)
ब्लैक फंगस की वैकल्पिक दवा भी मार्केट से गायब
ब्लैक फंगस की वैकल्पिक दवा भी मार्केट से गायब

ओपी वशिष्ठ, रोहतक :

loksabha election banner

ब्लैक फंगस या म्यूक्रोमायकोसिस के मरीजों का आंकड़ा लगातार तेजी से बढ़ रहा है। एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्श्न की भारी किल्लत को देखते हुए राज्य सरकार ने वैकल्पिक दवा के लिए खोजने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमेटी बनाई थी। चिकित्सकों ने इस बीमारी में प्रयोग के तौर पर जो वैकल्पिक दवा खोजी है, वो भी मार्केट से गायब है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ मरीजों की मुश्किलें पहले से ज्यादा बढ़ गई है। खास बात यह है कि वैकल्पिक दवा भी काफी महंगी है, जो आम मरीज अपने जेब से नहीं खरीद पाएगा। प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या को देखते हुए एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन अस्पतालों को नहीं मिल रहे हैं, जिसके कारण मरीजों की जिदगी पर खतरा बना हुआ है। राज्य सरकार केंद्र से इंजेक्शन की खेप तो मंगा रहा है, लेकिन मरीजों की संख्या के हिसाब से 50 फीसद ही उपलब्ध हो रही है। ऐसे में एक इंजेक्शन दो या इससे ज्यादा मरीजों पर इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि किसी तरह स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने पिछले दिनों पीजीआइएमएस के ईएनटी विभागाध्यक्ष डा. आदित्य भार्गव की अध्यक्षता में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमेटी बनाकर एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन का विकल्प तलाशने के आदेश जारी किए थे। कमेटी ने वैकल्पिक दवा को लेकर देश-विदेश के ईएनटी विशेषज्ञ चिकित्सकों से विचार-विमर्श किया तो इसावकोना•ाोल व पोसाकोनाजोल इंजेक्शन व दवा का विकल्प उभरकर सामने आया। लेकिन ये दवा भी ब्लैक फंगस पर प्रयोगात्मक तौर पर मानी गई है। सौ फीसद इसका विकल्प इसे नहीं माना जा रहा है। हालांकि चिकित्सक इन दवाओं का इस्तेमाल ब्लैक फंगस के मरीजों पर कर रहे हैं। पोसाकोनाजोल और इसावकोनालोज काफी महंगी है चिकित्सकों ने बताया कि अब पोसाकोनाजोल और इसावकोनालोज भी मार्केट में नहीं है। अगर है भी तो ये इंजेक्शन और दवा काफी महंगी है। पोसाकोनालोज का इंजेक्शन भी और टेबलेट भी। एक टेबलेट की कीमत अनुमानत: साढ़े तीन सौ रुपये की है। मरीज में एक दिन में तीन टेबलेट दी जाती है। मरीज का 75 दिन तक कोर्स रहता है। ऐसे में 75 हजार रुपये की टेबलेट एक मरीज को लेनी पड़ेगी। इसके अलावा इसावकोनाजोल दवा का कोर्स आठ से बारह सप्ताह मरीज को करना पड़ेगा, जिसका खर्च कई लाख रुपये पड़ेगा। खास बात यह है कि ये दोनों दवा भी मार्केट में उपलब्ध नहीं। साल में इक्का-दुक्का ही ब्लैक फंगस के केस आते थे : डा. भार्गव

पीजीआइएमएस रोहतक के ईएनटी विभागाध्यक्ष डा. आदित्य भार्गव का कहना है कि ब्लैक फंगस के साल में इक्का -दुक्का ही केस आते थे। पीजीआइएमएस से पहले सेना में भी कई दशक तक उन्होंने चिकित्सीय सेवाएं दीं। सेना में भी इस ब्लैक फंगस के केस सामने नहीं आते थे। अब पोस्ट कोविड मरीज इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन का अभाव है। राज्य सरकार ने वैकल्पिक दवा के लिए कमेटी गठित की है, जो विशेषज्ञों की राय ले रही है। पोसाकोनाजोल और इसावकोनालोज को प्रयोगात्मक दवा के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन इसकी भी मार्केट में उपलब्धता नहीं बताई जा रही है। मरीजों के आधार पर सरकार को इंजेक्शन की डिमांड भेजी जाती है, जिसके आधार पर आपूर्ति हो रही है, जो पर्याप्त नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.