किसानों के हक में तीनों अध्यादेश, कोविड के फेर में समझाने में हुई देरी
कृषि के तीन अध्यादेश किसान विरोध नहीं हैं। आढ़तियों को डरने की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार इन अध्यादेशों से किसानों की आमदनी दोगुना करना चाहती है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : कृषि के तीन अध्यादेश किसान विरोध नहीं हैं। आढ़तियों को डरने की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार इन अध्यादेशों से किसानों की आमदनी दोगुना करना चाहती है। हरित क्रांति की तरह अब देश को आगे बढ़ने की जरूरत है। कोविड के फेर में इन अध्यादेशों के बारे में समझाने में देरी हुई है। इसलिए भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। कुछ लोग तथ्य तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं। इस अध्यादेश को लेकर जो भी गलतफहमी है उसे दूर किया जाएगा। रोहतक के सर्किट हाउस में पत्रकारों से संयुक्त रूप से वार्ता कर भिवानी के सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह, कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी और हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह ने यह बातें कहीं।
कृषि अध्यादेश को लेकर को लेकर किसानों, आढ़तियों, व्यापारियों और करीब 20-22 अन्य संगठनों से भी शनिवार को करीब दो घंटे तक वार्ता की। इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि 14 सितंबर से 1 अक्टूबर तक संसद का सत्र चलेगा। उम्मीद है कि 16 सितंबर को कृषि के तीनों अध्यादेशों पर चर्चा होगी। संगठन की तरफ से तीन सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल सुझावों, दावों और आपत्तियों के आधार पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से वार्ता करेंगे।
पत्रकारों के सवाल पर सांसद धर्मबीर ने कहा कि लाठीचार्ज करना गलत है, लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखना प्रदेश सरकार का काम है। हालांकि लाठीचार्ज की घटना की जांच की मांग को लेकर तीनों ही सांसदों ने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। सांसद नायब सिंह ने कहा कि लोगों को असल बात का पता नहीं है। रोहतक और करनाल में शनिवार को बैठकों के माध्यम से लोगों की गलतफहमियों को दूर किया। जबकि पंचकूला में रविवार को तीनों ही सांसद जाएंगे।
सांसद बृजेंद्र सिंह ने दी तीनों अध्यादेशों की जानकारी
हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा कि पहले कृषि अध्यादेश में कृषि से संबंधित उत्पादों के स्टॉक की बंदिश खत्म होगी। सिर्फ आपदा, युद्ध आदि मौकों पर ही सरकार के नियंत्रण में सब कुछ रहेगा। दूसरे अध्यादेश की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि किसान को पहली बार कृषि उपज खुले बाजार में बेचने की अनुमति होगी। मंडी के बाहर और अंदर भी कृषि उपज बेच सकेंगे। प्राइवेट पार्टियों को यदि कृषि उपज बेचना चाहें तो उनके लिए कोई बंदिश नहीं होगी। तीसरा अध्यादेश यह होगा कि इसमें किसान चाहे तो किसी भी प्राइवेट व्यक्ति, कंपनी, कार्पोरेट कंपनी आदि से एग्रीमेंट करके अपनी फसल, गुणवत्ता, क्षमता और मूल्य निर्धारित करके बिक्री कर सकेंगे।