एडवोकेट राजबीर 12 साल से जगा रहे संवैधानिक अधिकारों की अलख
जिले भर में अलग-अलग स्थानों पर निश्शुल्क शिविर लगाकर अधिवक्ता राजबीर कश्यप लोगों को संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, रोहतक:
जिले भर में अलग-अलग स्थानों पर निश्शुल्क शिविर लगाकर अधिवक्ता राजबीर कश्यप लोगों को संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। वे पिछले 12 साल से लोगों में कानूनी जागरूकता फैला रहे हैं। अब तक सात हजार से भी अधिक लोगों को संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक कर चुके हैं। इसके लिए वे स्कूल, कालेजों के अलावा गांव और शहर की विभिन्न कालोनियों में भी वे जागरूकता शिविर लगा चुके हैं। मूल रूप से कलानौर निवासी राजबीर वर्तमान में जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण रोहतक पैनल के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने रोहतक कोर्ट परिसर के लिटिजेंट हाल में संवैधानिक अधिकारों के संबंध में एक विशेष निशुल्क कानूनी जागरूकता और साक्षरता कार्यक्रम किया। इसमें अधिवक्ता राजबीर ने संवैधानिक अधिकारों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। कश्यप ने उनको बताया कि किसी भी लोकतांत्रिक देश की संवैधानिक व्यवस्था में नागरिकों और व्यक्तियों के सर्वांगीण विकास के लिए कुछ मूलभूत अधिकारों की व्यवस्था रहती है। आजादी से पहले शासन के दौरान भारतीय नागरिकों के साथ किया गया अमानवीय व्यवहार, जातिगत भेदभाव और स्वतंत्रता के दौरान होने वाले दंगे इत्यादि ने मानवीय गरीमा को छिन भिन्न कर दिया था। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए संविधान निर्माताओं ने सार्वभौमिक अधिकारों की व्यवस्था की। उन्होंने कहा कि नागरिकों के सर्वांगीण विकास के लिए हर नागरिक को कंधे से कंधा मिलाकर जागरूक करने के लिए आगे आना होगा। इस अवसर पर संदीप कुमार, संदीप सैणी, यशवीर बुधवार, सूरज गोयल और नागरिक उपस्थित रहे । अधिकारों की दे रहे जानकारी
उनका कहना है कि लोगों में संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूकता का अभाव साफ देखा जा रहा है। इसी कारण उन्होंने जागरूकता मुहिम शुरू की हुए है। उन्होंने कहा कि संविधान के भाग-तीन में अनुच्छेद 12 से 35 में मूल अधिकारों की संज्ञा दी गई है। इनमें समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18), स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19-22), शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24), धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28), संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30), संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32) शामिल हैं। इनके प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इसी के मद्देनजर वे 12 साल से लोगों में जागरूकता फैलाने में लगे हैं।