बच्चों की जान जोखिम में डालकर शहर में धड़ल्ले से संचालित 336 संस्थान
अरुण शर्मा रोहतक शहरी क्षेत्र में तमाम संस्थान बच्चों की जान जोखिम में डालकर धड़ल्ले से सं
अरुण शर्मा, रोहतक
शहरी क्षेत्र में तमाम संस्थान बच्चों की जान जोखिम में डालकर धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। इनमें पीजी, प्ले स्कूल और कोचिग की बड़ी संख्या है। सूरत में हुए हादसे के बाद नगर निगम प्रशासन ने करीब 1000 संस्थानों की गोपनीय जांच कराई थी। जांच की रिपोर्ट आने के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। बेहद चिताजनक बात यह सामने आई कि शहरी क्षेत्र में करीब 336 संस्थान नियमों के विपरीत संचालित हैं। इनमें आग और किसी बड़ी आपदा से निपटने तक के पर्याप्त इंतजाम भी नहीं हैं। आपात द्वार यानी इमरजेंसी गेट से लेकर पार्किंग भी नहीं मिली। प्रॉपर्टी टैक्स(संपत्ति कर) भी जमा नहीं कराया। ट्रेड लाइसेंस लिए बगैर कमर्शियल गतिविधियों का संचालन हो रहा है। जल्द ही संबंधित संस्थानों को निगम प्रशासन नोटिस देकर बड़ी कार्रवाई करने जा रहा है। 10 या फिर इससे अधिक नियमित भीड़ वाले संस्थानों में हुई जांच
नगर निगम के आयुक्त आरएस वर्मा का कहना है कि सूरत में हुई घटना के बाद मैंने जांच के आदेश दिए थे। आयुक्त वर्मा का कहना है कि हमने अभी ऐसे संस्थानों की जांच कराई जहां 10-15 या फिर इससे अधिक बच्चे और विद्यार्थी नियमित तौर से आते हैं। 179 प्ले स्कूल, प्री-नर्सरी व दूसरी श्रेणी के स्कूल नियमों के विपरीत संचालित पए गए हैं। जबकि 94 पीजी (पेइंग गेस्ट) और 63 कोचिग सेंटर भी नियमों के विपरीत संचालित पाए गए हैं। अब इन पर कार्रवाई होगी। कहीं यह जांच सिर्फ दिखावा तो नहीं
नगर निगम प्रशासन की तरफ से कई बार शहरी क्षेत्र में कोचिग सेंटर, पीजी आदि संस्थानों में जांच करा चुका है। छेड़छाड़ से लेकर दूसरी किन्हीं बड़ी घटनाओं के बाद निगम प्रशासन नोटिस देकर कार्रवाई करना अक्सर भूल जाता है। दो साल पहले इन सभी श्रेणी के संस्थानों को नोटिस दिए गए थे। यहां सीसीटीवी कैमरों के साथ ही सुरक्षा और आपदा से निपटने के लिए भी प्रबंध करने थे। कार्रवाई से पहले सरकार से अनुमति मांगी थी, लेकिन आजतक कार्रवाई नहीं हो सकी। खिड़की-दरवाजों के साथ ही अग्निशमन यंत्रों होने चाहिए
किसी आपदा-हादसे के दौरान निकासी के लिए आपात द्वार होना अनिवार्य है। दमकल विभाग के वाहन आग बुझाने या फिर आपदा के दौरान दूसरे वाहन इमारत के दूसरे द्वार से अंदर जा सकें। नियमों के हिसाब से खिड़की-दरवाजे भी ऐसे होने चाहिए कि इन्हें तोड़कर आपात स्थिति में बाहर निकलने का रास्ता बन सके। वाहनों की एंट्री मुख्य द्वार तक हो और पार्किंग भी होनी चाहिए। वाणिज्यिक(कमर्शियल) गतिविधियों का संचालन करने के लिए ट्रेड लाइसेंस लेना और हर साल रिन्युअल भी कराना जरूरी है। अग्निशमन यंत्रों का भी इंतजाम होना चाहिए। अग्निशमन विभाग से फायर एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना भी अनिवार्य है।
ऐसे मिल सकेगा ट्रेड लाइसेंस
नए सिरे से ट्रेड लाइसेंस लेने के लिए प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री की कॉपी आवेदन के साथ लगानी होगी। पेन कार्ड, आधार कार्ड की कापी के साथ ही देनी होगी। सालाना टर्नओवर के हिसाब से लाइसेंस नगर निगम प्रशासन जारी करेगा। फीस भी टर्नओवर के हिसाब से तय है। प्रतिष्ठान में चोरी, आगजनी, घटना-दुर्घटना होने की स्थिति में व्यापारी, दुकानदार, उद्यमी, कारोबारी अपने नुकसान की भरपाई का दावा ठोंक सकते हैं। इसी आधार पर नुकसान की भरपाई हो सकती है। सूरत में हुए हादसे के बाद जांच के आदेश दिए गए थे। जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि 336 संस्थानों में नियमों का उल्लंघन हो रहा है। जल्द ही इन्हें नोटिस जारी करेंगे। इसके बाद सीलिग की कार्रवाई से लेकर इन्हें बंद कराने, पुलिस केस भी किए जाएंगे।
आरएस वर्मा, आयुक्त, नगर निगम
जांच के बाद यहां नियमों का उल्लंघन मिला
श्रेणी : कुल संख्या
प्ले स्कूल, स्कूल, नर्सरी स्कूल, प्री-नर्सरी स्कूल आदि स्कूल : 179
पीजी : 94
कोचिग सेंटर : 63
नियमों के विपरीत संचालित संस्थान : 336
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