रोहतक में बसा मिनी गोच्छी, झज्जर के इस गांव से पहुंचे 296 परिवार
आज के इस युग में अपने ऊपर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव न पड़े अच्छे संस्कार सीखें। इसके लिए एक सोसाइटी बेहतर प्रयासों में जुटी है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : आज के इस युग में अपने ऊपर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव न पड़े, कुछ ऐसा ही प्रयास कर रहा है गोच्छवाल प्रवासी सोसायटी रोहतक। झज्जर जिले का गांव गोच्छी जो अपने आप में बड़ा ऐतिहासिक गांव रहा है। पुराने समय से देशभक्ति का जोश व जज्बा संजोए, यहां के युवा हर वक्त देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने को तैयार रहते हैं। अपनी पुरानी परंपरा और सभ्यता को कायम रखने के लिए प्रयासरत है गोच्छवाल प्रवासी सोसायटी।
इस गांव से 296 परिवार वर्षों पहले गांव छोड़कर रोहतक में आकर अलग-अलग स्थानों पर बस गए। चार साल पहले एक व्हाट्सएप ग्रुप बना कर समस्त गांव वासियों को तलाश कर ग्रुप से जोड़ना शुरू। रविवार को सेक्टर-3 के कम्युनिटी सेंटर में समस्त गोच्छवाल पूरे देश, प्रदेश से इस परिवार मिलन समारोह में शरीक होने के लिए पहुंचेंगे। इस समारोह की शोभा बढ़ाने हेतु एक मेजर जनरल, 14 कर्नल, दो आईएएस, दो आईपीएस और एक आइआरएस व नौ प्रथम श्रेणी के प्रशासनिक अधिकारियों के अतिरिक्त 170 परिवारों ने कार्यक्रम में उपस्थित होंगे। गांव पर लिखी पुस्तक गोच्छी के गौरव नामक पुस्तक का विमोचन भी किया जाएगा। पुस्तक लिखने में अपनी सहभागिता निभाने वाले रमेश अहलावत ने बताया कि जब हमने पुस्तक लिखने की सोची तो हमें भी यह ज्ञात नहीं था कि हमारे गांव का इतिहास इतना गौरवशाली रहा होगा। लेकिन जैसे-जैसे पता चला तो ज्ञात हुआ कि गांव में आजादी के लिए शुरू से ही अपनी भागीदारी निश्चित की। प्रथम विश्व में रही भागीदारी
प्रथम विश्व युद्ध में इस गांव के वीरों ने हिस्सा लिया। इनमें से 11 वीर शहीद हो गए। जिसका प्रमाण आज गांव में रिसलदार मेजर रतिराम की हवेली पर लगा शिलालेख वीरों की कहानी बयां कर रहा है। आज तक गांव में लेफ्टिनेंट पद से ऊपर 56 सेना अधिकारी सेना में अपनी सेवा दे चुके हैं या दे रहे हैं। दो आइएएस, पांच आइपीएस, दो आइआरएस, 19 प्रथम श्रेणी प्रशासनिक अधिकारी अन्य विभागों में रहकर सेवा दे चुके हैं या दे रहे। कार्यकारिणी प्रधान कैप्टन राम सिंह बताते हैं कि हमने यह कार्यक्रम आज के युग में अपनों से बनती जा रही दूरी को कम करने के लिए रखा है। इसमें हमारा उद्देश्य है कि गांव से निकले लगभग 400-450 परिवारों को एक छत के नीचे इकट्ठा करना है। कार्यक्रम के आयोजन की बनाई रणनीति
ओल्ड हाउसिग बोर्ड में कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर पदाधिकारियों ने बैठक की। 75 वर्षीय सोसाइटी के पूर्व प्रधान डालचंद ने बताया कि हम पाश्चात्य संस्कृति हम अपनी के चक्कर में पड़कर अपनी संस्कृति व सभ्यता को न भूले। इस अवसर पर कार्यकारिणी की एक मीटिग रखी गई। इसमें कार्यकारिणी संरक्षक वीरेंद्र सिंह, डा. वीरेंद्र पाल, राज कपूर प्रधान, राम सिंह, कैप्टन राम सिंह, उपप्रधान राजवीर भारद्वाज, सचिव कैप्टन सुखबीर सिंह, सचिव दया किशन अहलावत, बलवान सिंह, श्याम फूल भारद्वाज, सुभाष चंद्र व रमेश अहलाव, प्रेम सिंह अहलावत उपस्थित रहे।