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प्रजनन के बाद गिर जाते है नर मलार्ड के पंख

मलार्ड बतख को ¨हदी भाषा में नील सिर बत्तख भी कहते है। भारत में यह एक प्रवासी पक्षी है, जो सर्दियों के मौसम में काफी लंबी दूरी से प्रवास करके अलग-अलग हिस्सों में पहुंचते है। ये मुख्यत अमेरिका, यूरेशिया व उत्तरी अफ्रीका से भारत में आते है। ये पक्षी अपने प्रवास के दौरान साल दर साल एक ही जगह पर आते है। यह पक्षी विभिन्न प्रकार की पालतु बत्तखों के पूर्वज है। मलार्ड साफ पानी व नमक के पानी वाली झीलों, जोहड़ों, नदियों, दलदली क्षेत्रों व समुद्र के किनारे रहना पसंद करते है। यह पक्षी कई प्रकार के हैबीटाट व वातावरण में अपने आप को समायोजित कर सकते है। आर्कटिक टुंड्रा से लेकर उष्णकटिबंधीय जगहों पर रह सकते है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 05:54 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 05:54 PM (IST)
प्रजनन के बाद गिर जाते है नर मलार्ड के पंख
प्रजनन के बाद गिर जाते है नर मलार्ड के पंख

प¨रदो की दुनिया: मलार्ड

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परिवार: एनीटीडी

जाति: एन्स

प्रजाति: प्लाटी¨रकोस

लेख संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन रेवाड़ी।

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मलार्ड बतख को ¨हदी भाषा में नील सिर बतख भी कहते है। भारत में यह एक प्रवासी पक्षी है, जो सर्दियों के मौसम में काफी लंबी दूरी से प्रवास करके अलग-अलग हिस्सों में पहुंचते है। ये मुख्यत अमेरिका, यूरेशिया व उत्तरी अफ्रीका से भारत में आते हैं। ये पक्षी अपने प्रवास के दौरान साल दर साल एक ही जगह पर आते हैं। यह विभिन्न प्रकार की पालतु बतखों के पूर्वज हैं। मलार्ड साफ पानी व नमक के पानी वाली झीलों, जोहड़ों, नदियों, दलदली क्षेत्रों व समुद्र के किनारे रहना पसंद करते हैं। ये कई प्रकार के हैबीटाट व वातावरण में अपने आप को समायोजित कर सकते है। आर्कटिक टुंड्रा से लेकर उष्णकटिबंधीय जगहों पर रह सकते है।

व्यस्क नर पक्षी का सिर चमकीला हरा होता है। इसकी गर्दन पर एक सफेद रंग का घेरा होता है, जो गर्दन और सिर व छाती के हिस्से को बांटता है। पेट का रंग हल्का स्लेटी होता है। इसके शरीर का पिछला हिस्सा काले रंग का होता है। इसकी चोंच पीली सतरंगी तथा काले रंग के निशान बाली होती है, जबकि मादा का रंग चमकीला भूरा होता है। दोनों के उड़ने वाले पंखों में पीछे की तरफ एक नीले रंग का बड़ा बैंड होता है, जो आमतौर पर पंख फैलाने पर ही दिखाई देता है। सर्वभक्षी है यह पक्षी

मलार्ड एक सर्वभक्षी पक्षी है, जो मुख्यत शाकाहारी है, लेकिन अपने प्रजनन चक्र में अलग-अलग प्रकार का भोजन खाते है। ये जलीय वनस्पति के पत्ते, जड़े तना व बीज आदि के साथ छोटे जलीय जीवों व ड्रेगनफ्लाई तथा पानी के पास उड़ने वाले जीवों को भी खा लेते है। ये पक्षी कम गहरे पानी वाली जगहों जहां पर जलीय वनस्पति बहुतायत में हो, ऐसी जगहों पर रहना पसंद करते है। यह पक्षी पानी की सतह पर ही रह कर भोजन करते है। पानी के अंदर गोता नहीं लगाते। इन पक्षियों के प्रजनन का समय मई-जून में होता है। इस दौरान नर पक्षी मादा को अपनी तरफ आकर्षित करते के लिए सिर व पूंछ हिलाते हैं तथा चोंच को आगे की तरफ खींच कर हिलाते है। इस दौरान ये पक्षी काफी अक्रामक हो जाते हैं। नर पक्षी इस दौरान आपस में कई बार लड़ते-लड़ते एक दूसरे के पंखों को भी नुकसान पहुंचा देते है। प्रजनन क्रिया होने के बाद नर पक्षी तुरंत तेजी से अपने सिर को हिलाते हुए तेज आवाज निकालते है। जोड़ा बनने के लिए नर-मादा मिल कर जगह तलाशते हैं तथा झीलों व पानी के किनारे बड़ी वनस्पति में छुप कर पत्ते, घास व अन्य वनस्पतियों का प्रयोग कर घोंसला बनाते है। नही उड़ पाते कई सप्ताह

जोड़ा बनने के बाद नर पक्षी मादा को छोड़कर एक जगह एकत्रित हो जाते हैं। नर पक्षियों के पंखों का झड़ना शुरू हो जाता है। इस दौरान नर पक्षी कुछ सप्ताह तक उड़ नहीं पाते। इस बीच इनके पंख दोबारा आ जाते है। प्रजनन के बाद कुछ नर पक्षी ऐसी मादाओं से पुन: जोड़ा बना लेते है, जिनके घोंसले व अंडे किसी कारणवश नष्ट हो जाते हैं। नर पक्षियों द्वारा कई बार दूसरी प्रजाति की बतखों के साथ जबरदस्ती जोड़ा बनाने की क्रिया भी देखी जा सकती है। ये पीनटेल, नार्दन शाव्लर व अमेरिकन ब्लक डक के साथी भी जोड़ा बना लेते हैं। मादा पक्षी 8 से 13 अंडे देती है। अंडों से चूजे निकलते ही पानी में तैर सकते हैं। कई प्रकार के शिकारी जीव लोमड़ी, परगराईज फॉल्कन, गोल्डन ईगल, बाल्ड ईगल व छुटकन्ना उल्लू आदि इसका शिकार कर लेते हैं।


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